प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
एनडीए सरकार की सांसद आदर्श ग्राम योजना की डिजाइन और फंडिंग के मौजूदा प्रारूप पर फिर सवाल उठने लगे हैं। सांसद भी गांव चुनने में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
पांच माह में सांसदों ने दिखाई उदासीनता
सांसद आदर्श ग्राम योजना के दूसरे दौर में सांसदों को इस साल के शुरू में अपने-अपने इलाके में दो ग्राम पंचायतों को चुनना था। हाल तक ग्रामीण विकास मंत्री रहे बीरेन्द्र सिंह ने 1 जनवरी 2016 को चिट्ठी लिखकर सभी सांसदों से 31 जनवरी तक दो ग्राम पंचायतों का चयन करने की गुजारिश की थी। पांच महीने से ज़्यादा का वक्त गुजर चुका है लेकिन अब तक लोकसभा के 543 में से सिर्फ 77 सदस्यों ने ग्राम पंचायतें चुनी हैं। जबकि 466 सांसदों ने अब तक गांव नहीं चुने हैं। राज्य सभा के 252 में से सिर्फ 24 सांसदों ने ग्राम पंचायतें चुनी हैं जबकि 90 फीसदी से ज़्यादा यानी 228 सांसदों ने गांव नहीं चुने हैं।
योजना का बायकॉट करेंगे
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने अब तक ग्राम पंचायत का चयन नहीं किया है। उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि वे अब इस योजना का बायकॉट करेंगे। नरेश अग्रवाल कहते हैं कि योजना की डिज़ाइन में खामियां हैं और फंडिंग का भी इंतज़ाम अलग से नहीं किया गया है।
दुविधा में सांसद, किसे चुनें-किसे छोड़ें
दरअसल सांसदों की चिंता योजना की डिज़ाइन और फंडिंग तक सीमित नहीं है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेन्दु शेखर रॉय ने एनडीटीवी को बताया कि उन्होंने गांव इसलिए नहीं चुना है क्योंकि उन्हें डर है कि अगर वे अपने इलाके में किसी एक गांव को चुनते हैं तो दूसरे गांवों के लोग उनसे नाराज़ हो सकते हैं।
फंड्स बढ़ना चाहिए
जिन सांसदों ने ग्राम पंचायतों का चयन किया भी है तो वे फंडिंग बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता और सांसद डीपी त्रिपाठी दो गांवों का चयन कर चुके हैं, लेकिन वे कहते हैं कि "प्रधानमंत्री MPLAD फंड्स में बढ़ोत्तरी पर विचार कर रहे थे...अभी तक कुछ हुआ नहीं है...फंड्स बढ़ना चाहिए।"
अहमद पटेल पीएम को लिख चुके हैं चिट्ठी
यह अहम है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दो महीने पहले ही चिट्ठी लिखकर योजना की डिज़ाइन और फंडिंग पर सवाल उठा चुके हैं। अब देखना होगा कि सरकार इन सवालों से आने वाले दिनों में कैसे निपटती है।
पांच माह में सांसदों ने दिखाई उदासीनता
सांसद आदर्श ग्राम योजना के दूसरे दौर में सांसदों को इस साल के शुरू में अपने-अपने इलाके में दो ग्राम पंचायतों को चुनना था। हाल तक ग्रामीण विकास मंत्री रहे बीरेन्द्र सिंह ने 1 जनवरी 2016 को चिट्ठी लिखकर सभी सांसदों से 31 जनवरी तक दो ग्राम पंचायतों का चयन करने की गुजारिश की थी। पांच महीने से ज़्यादा का वक्त गुजर चुका है लेकिन अब तक लोकसभा के 543 में से सिर्फ 77 सदस्यों ने ग्राम पंचायतें चुनी हैं। जबकि 466 सांसदों ने अब तक गांव नहीं चुने हैं। राज्य सभा के 252 में से सिर्फ 24 सांसदों ने ग्राम पंचायतें चुनी हैं जबकि 90 फीसदी से ज़्यादा यानी 228 सांसदों ने गांव नहीं चुने हैं।
योजना का बायकॉट करेंगे
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने अब तक ग्राम पंचायत का चयन नहीं किया है। उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि वे अब इस योजना का बायकॉट करेंगे। नरेश अग्रवाल कहते हैं कि योजना की डिज़ाइन में खामियां हैं और फंडिंग का भी इंतज़ाम अलग से नहीं किया गया है।
दुविधा में सांसद, किसे चुनें-किसे छोड़ें
दरअसल सांसदों की चिंता योजना की डिज़ाइन और फंडिंग तक सीमित नहीं है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेन्दु शेखर रॉय ने एनडीटीवी को बताया कि उन्होंने गांव इसलिए नहीं चुना है क्योंकि उन्हें डर है कि अगर वे अपने इलाके में किसी एक गांव को चुनते हैं तो दूसरे गांवों के लोग उनसे नाराज़ हो सकते हैं।
फंड्स बढ़ना चाहिए
जिन सांसदों ने ग्राम पंचायतों का चयन किया भी है तो वे फंडिंग बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता और सांसद डीपी त्रिपाठी दो गांवों का चयन कर चुके हैं, लेकिन वे कहते हैं कि "प्रधानमंत्री MPLAD फंड्स में बढ़ोत्तरी पर विचार कर रहे थे...अभी तक कुछ हुआ नहीं है...फंड्स बढ़ना चाहिए।"
अहमद पटेल पीएम को लिख चुके हैं चिट्ठी
यह अहम है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दो महीने पहले ही चिट्ठी लिखकर योजना की डिज़ाइन और फंडिंग पर सवाल उठा चुके हैं। अब देखना होगा कि सरकार इन सवालों से आने वाले दिनों में कैसे निपटती है।
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