गुरुवार को पश्चिम त्रिपुरा जिले के रंगुटिया में एक मछली तालाब की खुदाई के दौरान बड़ी मात्रा में मोर्टार के गोले मिले, जिनके बारे में माना जाता है कि ये 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के थे, जिसके कारण बांग्लादेश को आजादी मिली थी. इस खोज से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है. प्रारंभ में, यह स्पष्ट नहीं था कि गोले तोपों के थे या मोर्टार के; बाद में इसकी पुष्टि हुई कि वे मोर्टार के गोले थे.
बामुथिया चौकी के प्रभारी अधिकारी एंथोनी जमातिया ने कहा कि रंगुटिया में दुलाल नाम के घर में मछली के तालाब की खुदाई के दौरान 27 मोर्टार गोले दबे हुए पाए गए. सीपियाँ आपस में जुड़ी हुई थीं और अनुमान है कि वे लगभग 53 वर्षों से दबी हुई थीं. हालाँकि, इन गोले के मूल देश या निर्माता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.
स्थानीय वरिष्ठ नागरिकों का दावा है कि 1971 के युद्ध के दौरान, मुक्ति वाहिनी अक्सर बामुथिया क्षेत्र में यात्रा करती थी और प्रशिक्षण लेती थी. ऐसा माना जाता है कि मुक्ति वाहिनी ने इस स्थान पर मोर्टार के गोले गाड़ दिए होंगे, लेकिन बाद में उन्हें निकालने की जरूरत नहीं पड़ी.
ढाका इसके पश्चिम में पद्मा नदी और पूर्व में मेघना नदी के बीच है. भारतीय सेना की 2 और 33वीं कोर ने तेजी से जमना-पद्मा नदी के पश्चिम के जिलों में बांग्लादेश में गहराई तक मार्च किया. तेजपुर स्थित 4 कोर ने मेघना को पार करने और अंततः ढाका में प्रवेश करने के लिए ऑपरेशन शुरू किया.
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