पंजाब में बीते दो महीने में पराली जलाने की घटनाएं 30,000 का आंकड़ा पार कर गईं हैं. बुधवार को राज्य में पराली जलाने की 2,544 ताजा घटनाएं दर्ज की गईं. पंजाब में पराली जलाने के कारण दिल्ली में हवा की गुणवत्ता फिर से 'गंभीर' हो गई. पड़ोसी राज्य हरियाणा में यह 'बहुत खराब' श्रेणी में रही.
पंजाब में 2021 और 2022 की इसी अवधि (15 सितंबर से 15 नवंबर) में क्रमशः 67,020 और 45,464 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं थीं. राज्य में पिछले कुछ दिनों से फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं.
बुधवार को पंजाब में पराली जलाने की 2,544 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे 15 सितंबर के बाद से इस तरह की घटनाओं की संख्या 30,661 हो गई है. दिल्ली में शाम चार बजे 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 401 दर्ज किया गया.
हरियाणा के नारनौल में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 416 और हिसार में 375 दर्ज किया गया. पंजाब के बठिंडा में एक्यूआई 361 दर्ज किया गया, इसके बाद मंडी गोबिंदगढ़ में 280, पटियाला में 238, जालंधर में 222, अमृतसर में 163, लुधियाना में 162, खन्ना में 161 और रूपनगर में यह 153 दर्ज किया गया.
पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में एक्यूआई 167 दर्ज किया गया. इस बीच, पंजाब के सभी जिलों में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. अगर कोई पराली जलाता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य फसल अवशेष जलाने पर पूर्ण रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना है.
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