नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखकर आदेश दिया है कि विधानसभा का सत्र 16 मार्च, 2020 को प्रातः 11 बजे प्रारंभ होगा और उनके अभिभाषण के तत्काल बाद एकमात्र कार्य विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा. विश्वासमत मत विभाजन के आधार पर बटन दबाकर ही होगा और अन्य किसी तरीके से नहीं किया जाएगा. लेकिन उनके इस पत्र से दो सवाल खड़े हो गए हैं. पहला कि क्या क्या राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दे सकता है कि सदन की कार्यवाही किस तरह हो? वहीं दूसरा सवाल यह है कि जब राज्यपाल कह रहे हैं कि पहली नजर में लगता है कि कमलनाथ सरकार ने विश्वास खो दिया है तो फिर वे इस सरकार का अभिभाषण क्यों पढ़ रहे हैं?
संकट में कमलनाथ सरकार, 8 बड़ी बातें
- मध्य प्रदेश (Mdhya Pradesh) में पल-पल बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस (Congress) विधायक जयपुर से भोपाल गए हैं.
- विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक छह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
- वहीं कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के बाद 230 सीटों वाली विधानसभा में 222 सदस्य रह गए हैं. दो सीटों दो विधायकों की मौत के बाद से खाली चल रही हैं. ऐसे में बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत है.
- जयपुर से कांग्रेस विधायकों के साथ आ रहे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा है, ' हम बिल्कुल तैयार हैं भाजपा भाग रही है. विधायकों को कैद कर के रखा हुआ है
- रावत ने कहा, 'हम फ्लोर टेस्ट में पास होंगे और हमारी सरकार 5 साल चलेगी'.
- सोमवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट के लिए सभी विधायकों के लिए व्हिप जारी किया गया है. वहीं सीएम कमलनाथ ने गृहमंत्री अमित शाह से अपील की है कि वह अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर 'कैद' किए गए कांग्रेस के विधायकों को छुड़ाएं
- मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायकों के इस्तीफे से पहले 227 विधायक (2 का निधन और एक BSP विधायक सस्पेंड) कांग्रेस 114+6 सहयोगी मिलाकर 120 हैं और बीजेपी के पास 107.
- लेकिन 21 विधायकों के इस्तीफे के बाद कुल विधायक 206, बहुमत का नया आंकड़ा 104, कांग्रेस+सहयोगी मिलाकर 99 यानी बहुमत से 5 कम. बीजेपी के पास 107 विधायक यानी बहुमत से 3 ज्यादा.