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This Article is From Jul 02, 2022

अहमदाबाद में शांतिपूर्ण संपन्न हुई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

इस साल जुलूस में एक दर्जन से अधिक सजे हुए हाथी, झांकियों के साथ 100 ट्रक और धार्मिक समूहों, अखाड़ों और गायन मंडलियों के सदस्यों ने भाग लिया. ये रथ जमालपुर, कालूपुर, शाहपुर और दरियापुर जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों से होते हुए लगभग 12 घंटे बाद देर शाम मंदिर में वापस आए.

अहमदाबाद में शांतिपूर्ण संपन्न हुई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा
अहमदाबाद (गुजरात):

भगवान जगन्नाथ की 145वीं रथयात्रा अहमदाबाद में शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हो गई. इस दौरान लाखों श्रद्धालु भगवान की एक झलक पाने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े. इस साल उत्साह का स्तर विशेष रूप से काफी अधिक था, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद एक पूर्ण रथयात्रा निकाली गई.

मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने पुराने शहर के दरियापुर और शाहपुर से गुजरी रथयात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया. इन इलाकों को ‘सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील' माना जाता है. पुलिस ने बताया कि रथयात्रा के रास्ते में एक लकड़ी के कैबिन की छत गिरने से करीब एक दर्जन लोग घायल हो गए.

वर्ष 2020 में, गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा कोविड-19 खतरे के मद्देनजर सामान्य सार्वजनिक रथयात्रा की अनुमति देने से इनकार किए जाने के बाद भगवान जगन्नाथ मंदिर के परिसर में एक प्रतीकात्मक रथयात्रा का आयोजन किया गया था.

पिछले साल, केवल तीन रथों और दो अन्य वाहनों ने सामान्य उत्सव के बिना भाग लिया, क्योंकि किसी अन्य वाहन, गायन मंडली, हाथी या सजाए गए ट्रकों की अनुमति नहीं थी.

शुक्रवार सुबह, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा के रथ 18 किलोमीटर के मार्ग पर निकले. इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सुबह ‘पहिंद विधि' रस्म अदा की, जिसमें रथयात्रा की शुरुआत से पहले एक सुनहरी झाड़ू का उपयोग करके रथों का रास्ता साफ किया जाता है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सुबह लगभग चार बजे मंदिर पहुंचे और और 'मंगला आरती' में भाग लिया. इस परंपरा का वह पिछले कई वर्षों से पालन कर रहे हैं.

इस वर्ष जुलूस में एक दर्जन से अधिक सजे हुए हाथी, झांकियों के साथ 100 ट्रक और धार्मिक समूहों, अखाड़ों और गायन मंडलियों के सदस्यों ने भाग लिया. ये रथ जमालपुर, कालूपुर, शाहपुर और दरियापुर जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों से होते हुए लगभग 12 घंटे बाद देर शाम मंदिर में वापस आए.

अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने माला पहनाकर तब रथों का स्वागत किया, जब रथ मुस्लिम बहुल इलाकों से होकर गुजरे. रथों के दरियापुर से गुजरने पर बच्चे और महिलाएं सफेद झंडे लहराते नजर आए.

शांति का संदेश देने के लिए, जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी दिलीप दासजी महाराज ने दरियापुर में स्थानीय मुसलमानों द्वारा अभिवादन किए जाने के बाद दो कबूतर उड़ाए.

परंपरा के अनुसार, उन्हें स्थानीय मुस्लिम नेताओं द्वारा एक स्मृति चिह्न भेंट किया गया. पूर्व पार्षद हसन पठान ने कहा कि बदले में महंत ने दरियापुर की एक स्थानीय मस्जिद को 5,100 रुपये का दान दिया. स्थानीय विधायक गयासुद्दीन शेख और अन्य ने शाहपुर इलाके में मुख्य पुजारी और तीन रथों का स्वागत किया.

गुजरात सरकार ने मार्ग पर रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सहित 25,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया था.

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