प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि महिलाओं की रक्षा के लिए बने कानूनों का 'दुरुपयोग' ससुराल वालों को चुप कराने के लिए किया जा रहा है और स्पष्ट किया कि न्यायपालिका ऐसे 'गैरकानूनी व्यवहार' को प्रभावी तरीके से रोकेगी।
अदालत ने 70 वर्षीय विधवा महिला को उसकी संपत्ति पर दोबारा अधिकार देने का फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। महिला ने आरोप लगाया था कि उससे अलग रह रही बहू जबरन उसके मकान में घुस आई है और वहां रह रही है।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश कामीनी लाउ ने कहा, 'यह मुकदमा दिखाता है कि किस प्रकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने विशेष कानूनों का दुरुपयोग सिर्फ ससुराल वालों को चुप कराने या उन्हें डराने के लिए किया जा रहा है। अदालतें ऐसा दुरुपयोग नहीं होने दे सकती। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इन अनुचित और गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए अदालतें अवश्य और प्रभावी तरीके से कदम उठाएंगी।'
अदालत ने बहू और उसके दो बच्चों, (दोनों बालिग) को शांतिपूर्ण तरीके से छह महीने के भीतर शास्त्री नगर स्थित अपनी सास की संपत्ति खाली करने का आदेश दिया।
अदालत ने 70 वर्षीय विधवा महिला को उसकी संपत्ति पर दोबारा अधिकार देने का फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। महिला ने आरोप लगाया था कि उससे अलग रह रही बहू जबरन उसके मकान में घुस आई है और वहां रह रही है।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश कामीनी लाउ ने कहा, 'यह मुकदमा दिखाता है कि किस प्रकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने विशेष कानूनों का दुरुपयोग सिर्फ ससुराल वालों को चुप कराने या उन्हें डराने के लिए किया जा रहा है। अदालतें ऐसा दुरुपयोग नहीं होने दे सकती। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इन अनुचित और गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए अदालतें अवश्य और प्रभावी तरीके से कदम उठाएंगी।'
अदालत ने बहू और उसके दो बच्चों, (दोनों बालिग) को शांतिपूर्ण तरीके से छह महीने के भीतर शास्त्री नगर स्थित अपनी सास की संपत्ति खाली करने का आदेश दिया।
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