
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बुधवार को कहा कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को जमीन आवंटित नहीं की जा रही है और कानून में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इससे कुछ घंटे पहले पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया था कि बेघर लोगों को आवास उपलब्ध कराने का प्रशासन का कदम केंद्र शासित प्रदेश की जनसांख्यिकी को बदलने की एक कोशिश है.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को कहा था कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत भूमिहीन परिवारों को उनके घर के निर्माण के लिए 150 वर्ग गज के भूखंड उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा था, “ग्रामीण विकास विभाग ने ऐसे 1.83 लाख परिवारों की पहचान की है जिनके पास अपना घर नहीं है.” उपराज्यपाल ने यह भी दावा किया था कि पूरे प्रदेश के 2711 भूमिहीन परिवार को जमीन आवंटित कर दी गई है.
बुधवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने उपराज्यपाल के प्रशासन पर बेघर लोगों को आवास उपलब्ध कराने के नाम पर प्रदेश में मलिन बस्तियां और गरीबी लाने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी इल्ज़ाम लगाया कि यह केंद्र शासित प्रदेश में जनसांख्यिकी को बदलने की एक कोशिश है.
महबूबा ने पत्रकारों से कहा, “ उपराज्यपाल ने जम्मू कश्मीर में 1.99 लाख भूमिहीन लोगों को जमीन देने का ऐलान किया. इसे लेकर संदेह और चिंताएं सामने आई हैं कि जम्मू-कश्मीर में ये भूमिहीन लोग कौन हैं? संसद में रखे गए केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में केवल 19,000 बेघर परिवार हैं.”
कुछ घंटों बाद, एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, 'महबूबा मुफ्ती का यह बयान कि सरकार दो लाख लोगों को जमीन आवंटित कर रही है, तथ्यात्मक रूप से गलत है.” प्रवक्ता ने कहा कि न तो कानून में कोई बदलाव किया गया है और न ही किसी बाहरी व्यक्ति को जमीन आवंटित की जा रही है.
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