दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है। उसने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर महानगर में अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने में कथित अनियमितताओं के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने लोकायुक्त की रिपोर्ट पर दिल्ली सरकार की राय मांगी थी, जिस पर उसने यह कदम उठाया है। इस रिपोर्ट में न्यायमूर्ति मनमोहन सरीन ने नवंबर 2013 में व्यवस्था दी थी कि दीक्षित ने साल 2008 में अनाधिकृत कालोनियों के नियमितीकरण के लिए अस्थायी प्रमाणपत्र चुनाव में राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए दिया था।
इसके बाद की सुनवाइयों में लोकायुक्त ने यह भी कहा कि चुनाव से पहले अस्थायी प्रमाणपत्रों को जारी करने के दौरान उच्चतम न्यायालय की शर्तों का पालन नहीं किया गया और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेज दी।
इस मामले में भाजपा के नेता हर्ष वर्धन द्वारा 2010 में रिपोर्ट दाखिल की गई थी। वर्धन ने आरोप लगाया था कि दीक्षित ने 2008 में अनधिकृत कालोनियों को अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र जारी करके अपनी सत्ता का दुरुपयोग किया है।
दिल्ली सरकार ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले 1,218 अनधिकृत कालोनियों को अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र जारी किए थे और अब चुनाव से पहले 1,639 कालोनियों के नियमितीकरण का ऐलान किया था। इन अनधिकृत कालोनियों में, जहां 40 लाख से ज्यादा लोग निवास करते हैं, बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
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