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This Article is From Dec 24, 2018

ममता बनर्जी से मिले केसीआर, टीडीपी और वामदलों ने फेडरल फ्रंट के आइडिया को नकारा

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिले. इरादा बीजेपी-कांग्रेस से अलग एक संघीय गठबंधन बनाने का है.

ममता बनर्जी से मिले के चंद्रशेखर राव

नई दिल्‍ली:

एनडीए और यूपीए से अलग एक तीसरे या संघीय मोर्चे के लिए कोशिश कर रहे टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव लगातार कई नेताओं से मिल रहे हैं. लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या संघीय मोर्चे के तौर पर कोई प्रभावी गठबंधन तैयार हो पाएगा? ये दक्षिण और पूरब का मेल रहा. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिले. इरादा बीजेपी-कांग्रेस से अलग एक संघीय गठबंधन बनाने का है. बैठक के बाद के चंद्रशेखर राव ने मीडिया से कहा, 'हमने राष्‍ट्रीय राजनीति पर चर्चा की. राजनीतिक वार्ता जारी रहेगी, जल्‍दी ही हम आपके सामने एक योजना लेकर आएंगे.' केसीआर का मिशन देश में एक गैर कांग्रेस, गैर बीजेपी गठबंधन बनाने का है.

लेकिन संघीय गठबंधन के ख्‍याल को ममता के घर में ही बड़ी चोट मिली. सीपीएम ने साफ़ किया कि वो ममता सरकार को गैरलोकतांत्रिक मानता है. सीताराम येचुरी ने NDTV से विशेष बातचीत में कहा, 'लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में हमारा नारा होगा : पश्चिम बंगाल को बचाने के लिए तृणमूल सरकार हटाओ, देश को बचाने के लिए मोदी सरकार हटाओ. पश्चिम बंगाल में जनतंत्र का कत्‍ल हो और देश में जनतंत्र बचे, इस बात के क्‍या मायने हैं? सरकार बनाने के लिए जो भी रानीतिक मोर्चा बना है वो चुनाव के बाद ही बना है, जैसे संयुक्‍त मोर्चा, एनडीए और यूपीए.'

संकट केसीआर के घर में भी है. टीडीपी को टीआरएस से लड़ना है, कांग्रेस से नहीं. टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के राम मोहन राव ने NDTV से कहा, 'टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव के फेडरल फ्रंट के लिए राजनीतिक जगह देश में नहीं है. ये विचार कामयाब नहीं होगा. फेडरल फ्रंट आज संभव नहीं है.

लेकिन केसीआर के हौसले बुलंद हैं. रविवार को वो ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिल चुके हैं. अब यूपी में मायावती और अखिलेश यादव से भी मिलने की तैयारी है. कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों को साल लेकर एक संघीय मोर्चा बनाने की उनकी मुहिम को काल्‍पनिक करार दिया है और आरोप लगाया है कि ये विशेष गठजोड़ को फायदा पहुंचाने की कोशिश से जुड़ी मुहिम है.

गठजोड़ की राजनीति के इस दौर में भारतीय जनता क्या दो से ज़्यादा गठबंधनों का बोझ उठाने की हालत में है? टीआरएस की एक चुनौती ये भी है कि वो यूपीए और एनडीए दोनों से अलग लकीर खींचना चाहती हैं.

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