जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन कश्मीर में स्थिति सामान्य करने के लिए काफी प्रयास कर रही है. इसके तहत प्रशासन ने अब स्कूल खुलवा दिए हैं, लेकिन अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं. सरकार ने पिछले सप्ताह घाटी में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को खोलने की घोषणा की थी, लेकिन यहां राजधानी में कक्षाओं में बहुत कम छात्र दिखे. आईएएनएस ने श्रीनगर में टिंडेल बिस्को, मेलिंसन, डीपीएस और नेशनल स्कूल जैसे कुछ प्रतिष्ठित स्कूलों का दौरा किया, लेकिन उसे इनमें किसी स्कूल में छात्र नहीं मिले. स्कूल ने नए एडमिशनों के लिए इंटरव्यूज का नोटिस लगा दिया, "19 और 20 अगस्त को होने वाले एलकेजी के एडमिशन अभी भी निलंबित हैं. नई तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी." दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) के एक अधिकारी ने कहा, "शिक्षक तो स्कूल आ रहे हैं लेकिन छात्र नहीं."
सरकार ने हालांकि श्रीनगर के ज्यादातर स्थानों पर यातायात पर से प्रतिबंध हटा दिया है और कुछ स्थानों पर लैंडलाइन सेवा बहाल कर दी गई है, लेकिन किसी भी समय हिंसा की आशंका के चलते अधिकांश परिजन परेशान हैं और उनमें अपने बच्चों को स्कूल भेजने की हिम्मत नहीं है. श्रीनगर के पुराने इलाके में खानयार क्षेत्र के निवासी अब्दुल रशीद ने कहा, "इस समय मेरी प्राथमिकता अपने बच्चों को स्कूल भेजना नहीं है, यह बहुत जोखिम भरा है, स्थिति को शांत होने दीजिए, सिर्फ तभी उन्हें स्कूल भेजने के बारे में सोच सकता हूं."
हालांकि सरकार ने कहा है कि वह स्कूल खोलने के लिए चरण-दर-चरण काम कर रही है. सरकारी प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा, "छात्रों की बहुत कम उपस्थिति के बावजूद 1,500 प्राइमरी स्कूल और 1,000 माध्यमिक स्कूल खोले गए. शिक्षा विभाग बिना प्रतिबंध वाले क्षेत्र में प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों को सामान्य रूप से संचालित करने के लिए प्रयास करेगा." सरकार के लिए असली चुनौती हायर सेकेंडरी स्कूलों और कॉलेजों को खोलने की होगी जहां पहले छात्रों के विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं.
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