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This Article is From Nov 08, 2021

जब तक बकाया 130 करोड़ रुपये नहीं मिलते, आंध्र को नहीं दे पाएंगे दूध : कर्नाटक ने 'चेताया' 

पिछले चार महीने से आंध्र प्रदेश सरकार ने कर्नाटक दुग्घ संघ को भुगतान नहीं किया. इसकी वजह से बकाया राशि 130 करोड़ तक पहुंच गई और कीमत को लेकर भी विवाद छिड़ गया.

जब तक बकाया 130 करोड़ रुपये नहीं मिलते, आंध्र को नहीं दे पाएंगे दूध : कर्नाटक ने 'चेताया' 
कर्नाटक 130 करोड़ रुपये बकाया होने से आंध्र प्रदेश को दूध की आपूर्ति रोकेगा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
अमरावती:

कर्नाटक दुग्ध संघ (KMF) ने आंध्र प्रदेश के आंगनवाड़ियों को दूध की आपूर्ति करने में अक्षमता जाहिर की है. संघ का कहना है कि जब तक 130 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान और दाम में प्रति लीटर पांच रूपये की वृद्धि नहीं हो जाती तब तक वह दूध की आपूर्ति नहीं कर पाएगा. अगर कर्नाटक से दूध की आपूर्ति रूक जाती है तो संपूर्ण पोषण योजना के तहत छह साल से कम उम्र के 20 लाख बच्चे पौष्टिक आहार से वंचित हो सकते हैं. 

आंध्र प्रदेश सरकार नंदिनी ब्रांड के तहत केएमएफ से प्रति महीना 110 लाख लीटर दूध (अल्ट्रा हाई टेम्परेचर मिल्क) खरीद रही है. इसके तहत दूध का पास्चरीकरण 138 से 158 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कुछ सेकंड के लिए किया जाता है. जिसके बाद हवा के संपर्क में लाए बगैर उसे पैक कर दिया जाता है. इससे दूध का भंडारण लंबे समय तक किया जा सकता है. दूध के इस प्रकार को अल्ट्रा हाई टेम्परेचर मिल्क कहते हैं. 

आधिकारिक सूत्रों ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि पिछले चार महीने से राज्य सरकार ने केएमएफ को भुगतान नहीं किया. इसकी वजह से बकाया राशि 130 करोड़ तक पहुंच गई और कीमत को लेकर भी विवाद छिड़ गया. केएमएफ जून, 2020 में आंध्र प्रदेश सरकार के साथ हुए करार के तहत प्रति लीटर ‘वास्तविक कीमत से ‘ पांच रुपये कम ले रहा है क्योंकि यह योजना सामाजिक दायित्व से जुड़ी है. 

इस साल फरवरी में केएमफ ने खरीद कीमत, डीजल के दाम में वृद्धि और अन्य कच्चे मालों के दाम में वृद्धि का हवाला देते हुए प्रति लीटर पांच रुपये बढ़ाने की मांग की. आंध्र प्रदेश की सरकार ने कहा था कि मई, 2021 तक पुरानी कीमत को ही बरकरार रखा जाए. 

केएमएफ के प्रबंध निदेशक बी सी सतीश ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव प्रवीण प्रकाश को भेजे पत्र में कहा कि वे आंध्र प्रदेश के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए थे लेकिन आंध्र प्रदेश सरकार से कीमत में वृद्धि के मौखिक आश्वासन पर दूध की आपूर्ति पुरानी कीमत पर ही जारी रखी. कई बार पत्र भेजने के बाद भी कीमत में वृद्धि नहीं हुई. सतीश का कहना है कि वह चाहते हैं कि सरकार तत्काल 130 करोड़ रुपये की बकाया राशि और अन्य 2.33 करोड़ रुपये सीधे दुग्ध संघों को भुगतान कर दे. 

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केएमएफ के प्रबंध निदेशक ने पहले महिला एवं बाल विकास मुख्य सचिव ए आर अनुराधा को भी इस मुद्दे पर कई पत्र भेजे लेकिन कोई समाधान निकल कर नहीं आया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बिल वित्त विभाग को सौंपे हैं लेकिन लंबे समय से भुगतान को मंजूरी नहीं मिली है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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