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K9 डॉग स्क्वॉड की कहानी... PM मोदी का प्रोत्‍साहन और BSF की ऐतिहासिक पहल

भारत के इतिहास, संस्कृति और पुराणों में श्वानों को सदैव एक विशिष्ट एवं सम्माननीय स्थान प्राप्त होता रहा है. भारतीय मूल की श्वानों की नस्लें अपने साहस, निष्ठा और कार्यकुशलता के लिए प्रसिद्ध रही हैं. राजसी दरबारों से लेकर रणभूमि तक, इनकी उपस्थिति भारत की गौरवशाली सैन्य और सांस्कृतिक परंपरा में मानव और पशु के बीच अटूट संबंध का प्रतीक रही है.

K9 डॉग स्क्वॉड की कहानी... PM मोदी का प्रोत्‍साहन और BSF की ऐतिहासिक पहल
BSF की ऐतिहासिक पहल: भारतीय नस्लों को बल में स्थान
  • भारत की पारंपरिक श्वान नस्लों को साहस, निष्ठा और कार्यकुशलता के लिए सदैव सम्मान मिला और वे सांस्कृतिक प्रतीक
  • PM मोदी ने सीमा सुरक्षा बल में भारतीय नस्लों के श्वानों को अपनाने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया
  • बीएसएफ ने रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड नस्लों को शामिल कर भारतीय श्वानों को सुरक्षा बलों में प्रभावी बनाया है
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नई दिल्‍ली:

भारत के इतिहास, संस्कृति और पुराणों में श्वानों को सदैव एक विशिष्ट एवं सम्माननीय स्थान प्राप्त होता रहा है. भारतीय मूल की श्वानों की नस्लें अपने साहस, निष्ठा और कार्यकुशलता के लिए प्रसिद्ध रही हैं. राजसी दरबारों से लेकर रणभूमि तक, इनकी उपस्थिति भारत की गौरवशाली सैन्य और सांस्कृतिक परंपरा में मानव और पशु के बीच अटूट संबंध का प्रतीक रही है. इस ऐतिहासिक परंपरा को नई दिशा मिली, जब जनवरी 2018 में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र (NTCD), टेकनपुर का दौरा किया. इस अवसर पर उन्होंने भारतीय नस्लों के श्वानों को सुरक्षा बलों में प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया. उनका यह दूरदर्शी सकारात्मक कथन, स्वदेशी नस्लों की पहचान, प्रशिक्षण और उन्हें परिचालन भूमिकाओं में शामिल करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध हुआ.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस विचार को और सशक्त करते हुए 30 अगस्त 2020 को अपने ‘मन की बात' कार्यक्रम में नागरिकों से भारतीय नस्लों के श्वानों को अपनाने और प्रोत्साहित करने का आह्वान किया. यह अपील ‘आत्मनिर्भर भारत' और ‘वोकल फॉर लोकल' की भावना से ओतप्रोत थी, जिसने देश में स्वदेशी गर्व, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की नई चेतना को जन्म दिया.

BSF की ऐतिहासिक पहल: भारतीय नस्लों को बल में स्थान

प्रधानमंत्री की प्रेरणा से अनुप्राणित होकर, बीएसएफ ने दो प्रमुख भारतीय नस्लों- रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड, को अपने बल में शामिल कर एक उल्लेखनीय कदम उठाया.
रामपुर हाउंड: उत्तर प्रदेश की रामपुर रियासत से संबंधित यह नस्ल नवाबों द्वारा विकसित की गई थी. गीदड़ों और बड़े शिकार के लिए प्रयुक्त यह श्वान अपनी गति, वीरता और निर्भीकता के लिए प्रसिद्ध है.
मुधोल हाउंड: दक्कन के पठार का यह मूल निवासी श्वान पारंपरिक रूप से शिकार और सुरक्षा कार्यों में प्रयुक्त होता रहा है. इसे मराठा सेनाओं से भी जोड़ा जाता है. बाद में राजा मलोजीराव घोरपड़े ने इसका संरक्षण किया और ब्रिटिश अधिकारियों के समक्ष इसे 'Caravan Hound' के रूप में प्रस्तुत किया.

इन भारतीय नस्लों की विशेषताएं 

उच्च फुर्ती, सहनशक्ति, अनुकूलनशीलता, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता. इन्हें भारत के विविध भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियों में अत्यंत उपयुक्त बनाती हैं.

प्रशिक्षण, प्रजनन और तैनाती की प्रक्रिया

बीएसएफ न केवल इन श्वानों को टेकनपुर स्थित राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित कर रहा है, बल्कि प्रजनन कार्यक्रमों के माध्यम से इनकी संख्या में निरंतर वृद्धि करने में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर रहा है. यह पहल अब सहायक K9 प्रशिक्षण केंद्रों और क्षेत्रीय इकाइयों तक विस्तारित हो चुकी है. वर्तमान में, 150 से अधिक भारतीय नस्लों के श्वान देश के विभिन्न सामरिक एवं संवेदनशील क्षेत्रों यथा पश्चिमी और पूर्वी सीमाएं, तथा नक्सल विरोधी अभियानों में मुस्तैदी से तैनात हैं. इनकी प्रभावशाली कार्यक्षमता ने स्वदेशी नस्लों को सुरक्षा बलों की परिचालन संरचना में एक सुदृढ़ स्थान प्रदान किया है.

राष्ट्रीय स्तर पर गौरवपूर्ण सफलता

इस पहल की सफलता का प्रमाण वर्ष 2024 के अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट (लखनऊ) में मिला, जहाँ बीएसएफ की 'रिया', एक मुधोल हाउंड, ने ‘सर्वश्रेष्ठ ट्रैकर ट्रेड श्वान' और ‘डॉग ऑफ द मीट' दोनों खिताब जीत लिए. यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय नस्ल के श्वान ने 116 विदेशी नस्लों को पराजित कर यह उपलब्धि प्राप्त की है. यह भारतीय श्वानों की उत्कृष्टता, अनुशासन और क्षमता का जीवंत प्रमाण है.

राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में स्वदेशी गर्व का प्रदर्शन

इस गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाते हुए, आगामी राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में, जो एकता नगर (गुजरात) में आयोजित होगी, केवल भारतीय नस्लों के श्वानों की एक मार्चिंग टुकड़ी बीएसएफ का प्रतिनिधित्व करेगी. इस अवसर पर एक विशेष श्वान प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी. जिसमें सामरिक कुशलता और परिचालन दक्षता का प्रदर्शन होगा. कहना न होगा कि यह आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी भारत की K9 शक्ति की प्रतीक होगी.

भारतीय नस्लों के श्वानों का बीएसएफ में समावेश, प्रशिक्षण, प्रजनन और तैनाती, भारत की आत्मनिर्भरता, स्वदेशी गौरव और राष्ट्रीय गौरव के प्रति प्रतिबद्धता का सशक्त उदाहरण है. यह पहल न केवल भारत की पारंपरिक नस्लों को पुनर्जीवित करती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि भारत आत्मविश्वास, शक्ति और गरिमा के साथ अपने पथ पर अग्रसर है और इस मार्ग में भारतीय श्वान राष्ट्र सेवा की अग्रिम पंक्ति में  शान से खड़े हैं.

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