मेरठ:
देश में एड्स के प्रति जागरुकता कितनी है और खासकर एड्स रोगी के प्रति मेडिकल बिरादरी के लोग कितने असंवेदनशील हैं इसका पता यूपी के अस्पताल से चलता है। लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में 19 जून को सीजेरियन डिलीवरी के लिए एक महिला मरीज भर्ती हुई और अस्पताल ने उसके बेड पर बड़े से कागज में बायो हजार्ड +ive लिखकर चस्पा कर डाला। साथ ही लाल रिबन से एड्स का निशान बना दिया ताकि एड्स मरीज की पहचान की जा सके। इतना ही अस्पताल प्रशासन की असंवेदनशीलता तब और उजागर हुई जब डिलीवरी के मात्र तीन दिन बाद महिला को अपना मेडिकल वेस्ट उठाने के लिए कहा गया।
एक अखबार के मुताबिक मीना (रूपांतरित नाम) नाम की इस मरीज को वरिष्ठ डॉक्टर ने कथित प्रताड़ित भी किया। आरोप है कि डॉक्टर ने उसे दुनिया में एक और एड्म मरीज लाने के लिए कोसा। महिला ने बताया कि अस्पताल के इस रवैये की वजह से उससे मिलने आने वाले तमाम परिचितों को भी इस बात का पता चल गया कि वह एड्स पीड़ित है। उसे अब सामाजिक तिरस्कार का डर भी सताने लगा है।
जब इस बात का पता एड्म मरीजों की मदद करने वाली संस्ता केयर सपोर्ट सेंटर को चला तब वहां से ऋतु सक्सेना औ विनिता देवी अस्पताल पहुंचे और उन्होंने पाया कि तब भी वह कागज वहीं मरीज के बिस्तर पर लगा हुआ था।
ऋतु ने बताया कि जब इस मसले को उठाया गया तब जाकर अस्पताल प्रशासन जागा और उसने मामले को कंट्रोल करने की कोशिश की।
अस्पताल प्रशासन ने इस बात को स्वीकार कि उनसे यह गलती हुई और इसके लिए उन्होंने मरीज से भी माफी मांगी। विभागाध्यक्ष अभिलाषा गुप्ता ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था और संबंधित डॉक्टरों ने लिखित में माफी मांगी है।
अखबार से बात करते हुए मीना ने कहा कि करीब आठ साल पहले उन्हें यह बीमारी उनके पति से मिली और तब से लगातार उन्होंने इसी गुप्त बनाए रखा। अस्पताल और यहां के डॉक्टरों की वजह से इस बीमारी की बात सार्वजनिक हो गई। मीना का कहना है कि अब इस बीमारी से केवल मुझे ही तिरस्कार का सामना नहीं करना होगा बल्कि मेरी पैदा हुई बच्ची को भी लोग नहीं बख्शेंगे।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वह इस मामले की जांच करेगा और उचित कार्रवाई करेगा।
एक अखबार के मुताबिक मीना (रूपांतरित नाम) नाम की इस मरीज को वरिष्ठ डॉक्टर ने कथित प्रताड़ित भी किया। आरोप है कि डॉक्टर ने उसे दुनिया में एक और एड्म मरीज लाने के लिए कोसा। महिला ने बताया कि अस्पताल के इस रवैये की वजह से उससे मिलने आने वाले तमाम परिचितों को भी इस बात का पता चल गया कि वह एड्स पीड़ित है। उसे अब सामाजिक तिरस्कार का डर भी सताने लगा है।
जब इस बात का पता एड्म मरीजों की मदद करने वाली संस्ता केयर सपोर्ट सेंटर को चला तब वहां से ऋतु सक्सेना औ विनिता देवी अस्पताल पहुंचे और उन्होंने पाया कि तब भी वह कागज वहीं मरीज के बिस्तर पर लगा हुआ था।
ऋतु ने बताया कि जब इस मसले को उठाया गया तब जाकर अस्पताल प्रशासन जागा और उसने मामले को कंट्रोल करने की कोशिश की।
अस्पताल प्रशासन ने इस बात को स्वीकार कि उनसे यह गलती हुई और इसके लिए उन्होंने मरीज से भी माफी मांगी। विभागाध्यक्ष अभिलाषा गुप्ता ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था और संबंधित डॉक्टरों ने लिखित में माफी मांगी है।
अखबार से बात करते हुए मीना ने कहा कि करीब आठ साल पहले उन्हें यह बीमारी उनके पति से मिली और तब से लगातार उन्होंने इसी गुप्त बनाए रखा। अस्पताल और यहां के डॉक्टरों की वजह से इस बीमारी की बात सार्वजनिक हो गई। मीना का कहना है कि अब इस बीमारी से केवल मुझे ही तिरस्कार का सामना नहीं करना होगा बल्कि मेरी पैदा हुई बच्ची को भी लोग नहीं बख्शेंगे।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वह इस मामले की जांच करेगा और उचित कार्रवाई करेगा।
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