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This Article is From Nov 27, 2019

ISRO ने भारत के ‘कार्टोसैट-3’ और अमेरिका के 13 अन्य छोटे उपग्रहों को किया लॉन्च

ISRO Launch Today: यह कार्टोसैट श्रृंखला का नौवां उपग्रह है जिसे यहां से 120 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया.

ISRO ने भारत के ‘कार्टोसैट-3’ और अमेरिका के 13 अन्य छोटे उपग्रहों को किया लॉन्च
ISRO CARTOSAT-3: यह कार्टोसैट श्रृंखला का नौवां उपग्रह है.
नई दिल्ली:

धरती की निगरानी एवं मानचित्र उपग्रह कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों को इसरो (ISRO) ने बुधवार सुबह लॉन्च कर दिया. यह कार्टोसैट श्रृंखला का नौवां उपग्रह है जिसे यहां से 120 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया. पीएसएलवी-सी47 की यह 49वीं उड़ान है जो कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के वाणिज्यिक उद्देश्य वाले 13 छोटे उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा.

कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है जिसमें हाई रिजोल्यूशन तस्वीर लेने की क्षमता है. इसका भार 1,625 किलोग्राम है और यह बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय भूमि के उपयोग तथा भूमि कवर के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा. इसरो ने कहा है कि पीएसएलवी-सी47 ‘एक्सएल' कनफिगरेशन में पीएसएलवी की 21वीं उड़ान है. 

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न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड, अंतरिक्ष विभाग के वाणिज्यिक प्रबंधों के तहत इस उपग्रह के साथ अमेरिका के 13 नैनो वाणिज्यिक उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया गया. इसरो (ISRO) का कहना है कि श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से यह 74वां प्रक्षेपण यान मिशन है. कार्टोसैट-3 का जीवनकाल पांच साल का होगा. कार्टोसैट-3 तथा 13 अन्य नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण गत 22 जुलाई को चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण के बाद हुआ है. 

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इसरो (ISRO) प्रमुख के सिवन ने भारत के उपग्रह ‘कार्टोसैट-3' के प्रक्षेपण से पहले मंगलवार को तिरुपति स्थित तिरुमाला मंदिर में पूजा-अर्चना की थी. सिवन ने तिरुमाला में भगवान वेंकटेश की पूजा-अर्चना की. उन्होंने बाद में मीडिया से कहा कि ‘चंद्रयान-2' का आर्बिटर अच्छी तरह काम कर रहा है और चंद्रमा के बारे में बहुत सी सूचनाएं भेज रहा है. ‘चंद्रयान-2' के लैंडर ‘विक्रम' की सात सितंबर को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास विफल हो गया था और इसकी हार्ड लैंडिंग हुई थी. इसके साथ ही इसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था.

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