भारतीय मूल के अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ रतन लाल (Dr Rattan Lal) को कृषि क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के बराबर माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'विश्व खाद्य पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है. उन्हें मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए छोटे किसानों की मदद कर वैश्विक खाद्य आपूर्ति को बढ़ाने में योगदान देने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि डॉक्टर लाल ने चार महाद्वीपों तक फैले और अपने पांच दशक से अधिक के करियर में मिट्टी की गुणवत्ता को बचाए रखने की नवीन तकनीकों को बढ़ावा देकर 50 करोड़ से अधिक छोटे किसानों की आजीविका को लाभ पहुंचाया है, दो अरब से ज्यादा लोगों की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार किया है और करोड़ों हेक्टेयर प्राकृतिक उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित किया है.
आयोवा स्थित फाउंडेशन ने कहा, “भारतीय मूल के और अमेरिकी नागरिक, डॉ रतन लाल को खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए मृदा केंद्रित रुख विकसित करने और उसे मुख्यधारा विषयक बनाकर प्राकृतिक संसाधनों को बरकरार एवं संरक्षित रखने तथा जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए 2020 का विश्व खाद्य पुरस्कार दिया जाएगा.”
डॉक्टर लाल ने घोषणा के बाद कहा, “मृदा विज्ञान को इस पुरस्कार से पहचान मिलेगी. मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं.” उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार विशेष तौर पर इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि 1987 में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता भारतीय कृषि वैज्ञानिक डॉ एम.एस. स्वामीनाथन थे, जो भारतीय हरित क्रांति के जनक थे. उन्होंने कहा कि कठोर मौसमी परिस्थितियों के कारण भारत जैसे देश में मिट्टी की गुणवत्ता घटने की आशंका अधिक रहती है.
डॉक्टर लाल ने कहा, “इसलिए मृदा वैज्ञानिक को यह पुरस्कार मिलना मिट्टी की गुणवत्ता को बरकरार रखने और उसके प्रबंधन के महत्त्व को दर्शाता है. हमें धरती मां की तरफ और ध्यान देने की जरूरत है. हमारे शास्त्र और पुराण भी कहते हैं कि हमें धरती मां का सम्मान करना चाहिए, इसलिए इस पुरस्कार का मेरे लिए बहुत महत्त्व है.”
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं