रंगा रेड्डी, तेलंगाना:
16 साल की उम्र में भवानी की एक ही ख़्वाहिश थी - वह 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद कॉलेज करना चाहती थी, ताकि किसी दिन वह छोटी छोटी लड़कियों को पढ़ा सके। लेकिन पिछले महीने भवानी के माता-पिता ने घर पर लड़के और उसके घरवालों को बुला लिया ताकि उसका ब्याह हो सके। इसे भवानी की हिम्मत ही कहेंगे कि उसने अपने अभिभावकों को धमकी दे डाली कि अगर उन्होंने उससे शादी की ज़िद की तो वह पुलिस को बुला लेगी।
एनडीटीवी से बातचीत में भवानी कहती हैं 'मैंने अपने पिता से कहा कि मैं शादी नहीं करूंगी, चाहे कुछ भी हो जाए। उन्होंने कहा ठीक है।' आगे भवानी कहती है 'मैंने उनसे कहा कि अभी तो आप हां बोल रहे हैं लेकिन अगर बाद में ज़िद की तो मैं शिकायत दर्ज कर दूंगी।' उन्होंने भवानी से वादा किया कि पहले वह कॉलेज पूरा करले उसके बाद ही उसकी शादी की जाएगी।
100 से ज्यादा बाल विवाह
तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के गांव में भवानी पढ़ती है। पिछले महीने उसके क्लास की कम से कम पांच लड़कियां बाल विवाह के चंगुल में फंसती फंसती बची। हेडमास्टर के दफ्तर की दीवार पर लगे हेल्पलाइन नंबर (1098) ने इन लड़कियों के लिए हथियार का काम किया। अगले दिन इन लड़कियों के अभिभावकों को बुलाकर समझाया गया कि वह इन शादियों को रद्द कर दें और ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है।
इस साल तेंलगाना के इस एक जिले में 100 से ज्यादा बाल विवाह पर लगाम कसी गई है। इन आंकड़ों ने सरकार को भी चकित करके रखा है। दरअसल पिछले तीन साल से सूखे ने इस राज्य को चपेट में ले रखा है और परिवार जैसे तैसे करके अपने खर्चों को कम करना चाह रहे हैं। नवीं में पढ़ने वाली एक लड़की बताती है कि उसके पिता ने अपनी ज़मीन जल्दबाज़ी में बेच दी ताकि वह उसके लिए दहेज की छोटी सी रकम का इंतज़ाम कर सके। उसके माता-पिता का कहना था कि अगर वह उसके बड़े होने तक का इंतज़ार करेंगे तो सारा पैसा कहीं ओर खर्च हो जाएगा।
15 की लड़की, 28 का लड़का
इसके अलावा दसवीं पास करने के बाद अक्सर लड़कियों को कॉलेज की महंगी पढ़ाई के लिए गांव से दूर जाना पड़ता है। अगर उस फीस का इंतज़ाम नहीं हो पाए तो किसानों को अपनी बेटियों को असुरक्षित माहौल में घर पर छोड़कर घंटों खेत पर काम करने के लिए जाना पड़ता है जो काफी चिंता का विषय बन जाता है। रमा राजेश्वरी इसी जिले की एक उच्च पुलिस अधिकारी हैं। वह कहती हैं कि इस जिले में होने वाले बाल विवाहों से वह अनभिज्ञ नहीं है लेकिन मामले की गहराई में जाने पर वह भी चौंक गई।
रमा बताती हैं 'हमारे पुलिस थाने के ठीक सामने एक शादी हो रही थी, एक सरकारी अधिकारी की बेटी की। मुझे बताया गया कि लड़की की उम्र सिर्फ पंद्रह साल है और लड़का 28 साल का है, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, अमेरिका में काम करता है। हम तो चौंक गए। हमने तीस दिन में तीस शादियां रोकी हैं।'
रंगा रेड्डी जिले की बच्चियों को शादी से बचाने के अभियान शुरू कर दिया गया है। हेल्पलाइन नंबर, सामाजिक कार्यकर्ता या पुलिस के पास किसी भी तरह की ऐसी सूचना मिलने पर तुंरत कार्यवाही की जाने का आदेश है जिसके तहत अभिभावकों से मिलकर उन्हें समझाया जाता है और जरूरत पड़ने पर लड़कियों को सरकारी आश्रय दिया जाता है।
सुशीला की बहादुरी
लेकिन 16 साल की सौम्या को इस जाल से नहीं बचाया जा सका और दो साल पहले जब वह 8वीं क्लास में थी, उसका ब्याह कर दिया गया। वह बताती हैं हमें तो पता भी नहीं था कि शादी क्या होती है। हमारे माता-पिता ही ज़ोर जबरदस्ती कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दसवीं पास करने के बाद वह मुझे ससुराल भेज देंगे लेकिन मेरे ससुराल वाले आए और मेरे पति ने मुझे बुरी तरह मारा और वह मुझे ले गए।'
सौम्या से यह सदमा बर्दाश्त नहीं हुआ और वह बीमार पड़ गई। उसके 'पति' और परिवार ने उस पर लापरवाही का आरोप लगाकर उसे वापस माता-पिता के पास भेज दिया। अपनी मां और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से वह दोबारा स्कूल जाने लगी। करीब दस साल पहले रंगा रेड्डी जिले की 14 साल की सुशीला को अपने बाल विवाह का विरोध करने के लिए राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार दिया गया था। यहां अक्सर लड़कियां सुशीला का ज़िक्र करती हैं और उससे प्रेरणा लेती हैं।
एनडीटीवी से बातचीत में भवानी कहती हैं 'मैंने अपने पिता से कहा कि मैं शादी नहीं करूंगी, चाहे कुछ भी हो जाए। उन्होंने कहा ठीक है।' आगे भवानी कहती है 'मैंने उनसे कहा कि अभी तो आप हां बोल रहे हैं लेकिन अगर बाद में ज़िद की तो मैं शिकायत दर्ज कर दूंगी।' उन्होंने भवानी से वादा किया कि पहले वह कॉलेज पूरा करले उसके बाद ही उसकी शादी की जाएगी।
100 से ज्यादा बाल विवाह
तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के गांव में भवानी पढ़ती है। पिछले महीने उसके क्लास की कम से कम पांच लड़कियां बाल विवाह के चंगुल में फंसती फंसती बची। हेडमास्टर के दफ्तर की दीवार पर लगे हेल्पलाइन नंबर (1098) ने इन लड़कियों के लिए हथियार का काम किया। अगले दिन इन लड़कियों के अभिभावकों को बुलाकर समझाया गया कि वह इन शादियों को रद्द कर दें और ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है।
इस साल तेंलगाना के इस एक जिले में 100 से ज्यादा बाल विवाह पर लगाम कसी गई है। इन आंकड़ों ने सरकार को भी चकित करके रखा है। दरअसल पिछले तीन साल से सूखे ने इस राज्य को चपेट में ले रखा है और परिवार जैसे तैसे करके अपने खर्चों को कम करना चाह रहे हैं। नवीं में पढ़ने वाली एक लड़की बताती है कि उसके पिता ने अपनी ज़मीन जल्दबाज़ी में बेच दी ताकि वह उसके लिए दहेज की छोटी सी रकम का इंतज़ाम कर सके। उसके माता-पिता का कहना था कि अगर वह उसके बड़े होने तक का इंतज़ार करेंगे तो सारा पैसा कहीं ओर खर्च हो जाएगा।
15 की लड़की, 28 का लड़का
इसके अलावा दसवीं पास करने के बाद अक्सर लड़कियों को कॉलेज की महंगी पढ़ाई के लिए गांव से दूर जाना पड़ता है। अगर उस फीस का इंतज़ाम नहीं हो पाए तो किसानों को अपनी बेटियों को असुरक्षित माहौल में घर पर छोड़कर घंटों खेत पर काम करने के लिए जाना पड़ता है जो काफी चिंता का विषय बन जाता है। रमा राजेश्वरी इसी जिले की एक उच्च पुलिस अधिकारी हैं। वह कहती हैं कि इस जिले में होने वाले बाल विवाहों से वह अनभिज्ञ नहीं है लेकिन मामले की गहराई में जाने पर वह भी चौंक गई।
रमा बताती हैं 'हमारे पुलिस थाने के ठीक सामने एक शादी हो रही थी, एक सरकारी अधिकारी की बेटी की। मुझे बताया गया कि लड़की की उम्र सिर्फ पंद्रह साल है और लड़का 28 साल का है, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, अमेरिका में काम करता है। हम तो चौंक गए। हमने तीस दिन में तीस शादियां रोकी हैं।'
रंगा रेड्डी जिले की बच्चियों को शादी से बचाने के अभियान शुरू कर दिया गया है। हेल्पलाइन नंबर, सामाजिक कार्यकर्ता या पुलिस के पास किसी भी तरह की ऐसी सूचना मिलने पर तुंरत कार्यवाही की जाने का आदेश है जिसके तहत अभिभावकों से मिलकर उन्हें समझाया जाता है और जरूरत पड़ने पर लड़कियों को सरकारी आश्रय दिया जाता है।
सुशीला की बहादुरी
लेकिन 16 साल की सौम्या को इस जाल से नहीं बचाया जा सका और दो साल पहले जब वह 8वीं क्लास में थी, उसका ब्याह कर दिया गया। वह बताती हैं हमें तो पता भी नहीं था कि शादी क्या होती है। हमारे माता-पिता ही ज़ोर जबरदस्ती कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दसवीं पास करने के बाद वह मुझे ससुराल भेज देंगे लेकिन मेरे ससुराल वाले आए और मेरे पति ने मुझे बुरी तरह मारा और वह मुझे ले गए।'
सौम्या से यह सदमा बर्दाश्त नहीं हुआ और वह बीमार पड़ गई। उसके 'पति' और परिवार ने उस पर लापरवाही का आरोप लगाकर उसे वापस माता-पिता के पास भेज दिया। अपनी मां और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से वह दोबारा स्कूल जाने लगी। करीब दस साल पहले रंगा रेड्डी जिले की 14 साल की सुशीला को अपने बाल विवाह का विरोध करने के लिए राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार दिया गया था। यहां अक्सर लड़कियां सुशीला का ज़िक्र करती हैं और उससे प्रेरणा लेती हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं