जमीन से जमीन पर मार करने वाले भारत के पहले और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 ( Agni-5 Missile Test)के मिसाइल की सफल फ्लाइंग टेस्टिंग की जा चुकी है. भारत ने 11 से 16 मार्च के बीच अग्नि-5 मिसाइल की टेस्टिंग बात कही थी. भारत के इस मिसाइल टेस्ट पर पड़ोसी देश चीन ने नजरें गड़ा रखी थीं. इसलिए चीन ने अपने जासूसी जहाज शियांग यांग होंग 01 ( Xian Yang Hong 01) को बंगाल की खाड़ी में भेज दिया था. चीन का जासूसी जहाज मौजूदा समय में भारतीय समुद्र तट से कुछ दूर लंगर डाले हुए है.
ताजा सैटलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन का जहाज रविवार को बंगाल की खाड़ी में दाखिल हुआ. Xian Yang Hong 01 अभी विशाखापत्तनम के तट से 260 समुद्री मील यानी 480 किलोमीटर से भी दूरी पर लंगर डाले हुए है. इत्तेफाक से यहीं पर भारत अपनी 3 न्यूक्लियर ऑपरेटेड बैलिस्टिक मिसाइल से लैस सबमरीन को तैनात करता है, जो यकीनन भारत के आर्टलरी में सबसे सेंसेटिव वेपन सिस्टम है. बता दें कि चीन का एक और जासूसी जहाज पहले से ही हिंद महासागर में मौजूद है.
अग्नि-5 मिसाइल मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से लैस है. इसका मतबल ये है कि इसे एक साथ कई टारगेट्स पर लॉन्च किया जा सकता है. इसका पहली टेस्टिंग अप्रैल 2012 में हुई थी. सोमवार (11 मार्च) को MIRV टेक्नोलॉजी के साथ इसकी टेस्टिंग हुई. इसके साथ ही भारत MIRV ताकत वाला देश बन गया.
अग्नि-5 मिसाइल की टेस्टिंग से पहले पिछले सप्ताह एक NOTAM अलर्ट जारी किया गया था. इसका मतलब वायु सैनिकों को नोटिस देना है. किसी क्षेत्र को नो-फ्लाई ज़ोन के रूप में नामित करने के लिए NOTAM अलर्ट जारी किया जाता है. यह अलर्ट बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के लिए था. इसे स्पष्ट संकेत के रूप में देखा गया था कि भारत एक मिसाइल टेस्टिंग की योजना बना रहा है. नोटम अलर्ट में चिह्नित नो-फ्लाई ज़ोन बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में 3,500 किलोमीटर तक फैला था.
चीन लगातार भारत की गतिविधियों पर नजर रख रहा था. 4,813 टन वजनी जासूसी जहाज जियांग यांग होंग 01 की ताजा स्थिति और समय से ये साफ समझ में आता है. NDTV को सैटेलाइट तस्वीरों के एक्सेस से ऐसी जानकारी मिली है, जिससे पता चलता है कि चीन के इस जहाज ने अपने करंट लोकेशन पर पहुंचने से पहले कैसे अपनी स्थिति बदली है.
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ऐसा माना जाता है कि चीन के इस जहाज में सब-सरफेस एकॉस्टिक (ध्वनिक संकेतों) सिग्नेचर का पता लगाने के लिए सेंसर लगे हैं. इसका मतलब यह है कि यह सबमरीन से जुड़े साउंड को महसूस कर सकता है. इन साउंड को जहाज के सोनार और उसके ऊपर तैनात प्लवों के जरिए से पता लगाया जा सकता है. इसका इस्तेमाल सबमरीन और संभावित अंडरवॉटर लॉन्चिंग के आवाज को भी रिकॉर्ड करने के लिए किया जा सकता है.
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चीनी जहाज जियांग यांग होंग 03 अभी श्रीलंकाई क्षेत्र का सर्वे कर रहा है. पिछले महीने इसे मालदीव ने डॉक करने की परमिशन दी थी. पिछले महीने माले में चीनी जहाज के उतरने से पहले मालदीव ने कहा था कि वह कोई रिसर्च नहीं करेगा, बल्कि सिर्फ 'रोटेशन और रिप्लेनिशमेंट' करेगा. हालांकि, चीन का ये जहाज मालदीव और श्रीलंका के बीच पानी में टेढ़े-मेढ़े तरीके से घूम रहा है.
नेवी चीफ एडमिरल आर कुमार ने NDTV को बताया है कि पानी के नीचे के क्षेत्रों का चार्ट बनाने में सबमरीन को तैनात करने या सबमरीन को ऑपरेट करने की क्षमता के पीछे मिलिट्री एप्लिकेशन हो सकते हैं.
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