नई दिल्ली:
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक के कारण शुक्रवार को संसद का माहौल एक बार फिर गर्म हो गया। इसी बीच, भाजपा ने देश में आम चुनाव जल्द करवाने की मांग की।
राज्यसभा में पहली बार असामान्य आक्रामक मुद्रा अपनाते हुए प्रधानमंत्री ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के हर कदम का बेवजह विरोध करती रही है।
रुपये की लगातार गिरती कीमत पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि भाजपा देश की अर्थव्यवस्था के प्रति चिंतित है तो उसे संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देनी चाहिए।
मनमोहन सिंह ने कहा, "संसद देश की सर्वोच्च संस्था है और सत्र-दर-सत्र उसे काम नहीं करने दिया गया है।" उन्होंने यह भी कहा, "मुझे खुशी है कि प्रमुख विपक्षी दल ने संसद में आम राय की जरूरत को महसूस किया है। लेकिन आम राय बनाने की जिम्मेदारी प्रमुख विपक्षी दल और सरकार दोनों की होती है।"
मनमोहन ने कहा, "अफसोस की बात है कि प्रमुख विपक्षी दल इस बात को कभी पचा नहीं पाया कि वह 2004 में सत्ता से बाहर हो गया।"
इस टिप्पणी पर सदन में हंगामा हुआ और भाजपा सदस्यों ने इसका जोरदार विरोध किया। उप सभापति पीजे कुरियन के हस्तक्षेप के बाद सदन में व्यवस्था फिर से कायम हुई।
मनमोहन सिंह ने कहा, "आपने किसी भी संसद में ऐसी स्थिति के बारे में सुना है, जहां प्रधानमंत्री को अपने मंत्रिपरिषद के सदस्यों से परिचय कराने की अनुमति नहीं दी जाती हो? आपने किसी भी देश में ऐसा सुना है कि प्रमुख विपक्षी दल के सदस्य सदन के बीचोबीच आकर अभद्र टिप्पणियों के जरिए नारा लगाते हैं?"
पलटवार करते हुए नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा, "क्या आपने ऐसे देश के बारे में सुना है, जहां प्रधानमंत्री वोट खरीद कर विश्वासमत हासिल करता है?" जेटली के इस सवाल पर कांग्रेस के सदस्य उत्तेजित हो गए और नारेबाजी करने लगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में वर्ष 1991 के जैसा आर्थिक संकट नहीं है। देश के पास 280 अरब डॉलर का विदेशी विनिमय रिजर्व है जो सात महीने तक आयात के लिए पर्याप्त है।
यह राजनीतिक लड़ाई संसद में ही खत्म नहीं हुई। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को ट्विटर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना करते हुए कहा कि जिस प्रकार रुपये की कीमत में गिरावट आ रही है उसी प्रकार प्रधानमंत्री ने अपनी शिष्टता खोई है।
इसके बाद भाजपा ने देश में अनिश्चितता के माहौल को खत्म करने के लिए समय से पहले लोकसभा का चुनाव कराने की मांग की।
भाजपा के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और मांग की कि देश में 'अनिश्चितता' का मौजूदा वातावरण समाप्त करने के लिए जल्द आम चुनाव कराए जाएं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मीडिया से कहा, "देश में अनिश्चितता के मौजूदा वातावरण को खत्म करने का उपाय लोकसभा चुनाव है, इसे विधानसभा चुनावों के साथ 2013 में ही कराया जाना चाहिए।"
भारतीय अर्थव्यवस्था पर आए अभूतपूर्व संकट पर उन्होंने भाजपा सदस्यों की ओर से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया है, "अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का लगातार अवमूल्यन भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही गंभीर बीमारी का केवल एक लक्षण भर है।"
आडवाणी ने कहा कि सरकार वर्तमान संकट के लिए खुद के अलावा हर किसी को दोषी ठहरा रही है। उन्होंने कहा, "हमने इस तरह की सरकार नहीं देखी, जिसमें मौजूदा वित्त मंत्री आर्थिक समस्याओं के लिए पूर्ववर्ती वित्त मंत्री पर दोष डालता हो, जो कि अब जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं।" ज्ञापन में कहा गया है कि एक ऐसी सरकार जो पंगु हो चुकी है, उसे देश नहीं झेल सकता।
साथ ही कहा गया है, "हम आपसे यह आग्रह करने आए हैं कि वर्तमान अनिश्चितता को खत्म करने के लिए आप सरकार को जल्द से जल्द नया जनादेश हासिल करने की सलाह दें। यह समय अगले तीन महीने बाद चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही कराया जाना चाहिए।"
ज्ञात हो कि दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव नवंबर के अंत से पहले होने वाले हैं।
राज्यसभा में पहली बार असामान्य आक्रामक मुद्रा अपनाते हुए प्रधानमंत्री ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के हर कदम का बेवजह विरोध करती रही है।
रुपये की लगातार गिरती कीमत पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि भाजपा देश की अर्थव्यवस्था के प्रति चिंतित है तो उसे संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देनी चाहिए।
मनमोहन सिंह ने कहा, "संसद देश की सर्वोच्च संस्था है और सत्र-दर-सत्र उसे काम नहीं करने दिया गया है।" उन्होंने यह भी कहा, "मुझे खुशी है कि प्रमुख विपक्षी दल ने संसद में आम राय की जरूरत को महसूस किया है। लेकिन आम राय बनाने की जिम्मेदारी प्रमुख विपक्षी दल और सरकार दोनों की होती है।"
मनमोहन ने कहा, "अफसोस की बात है कि प्रमुख विपक्षी दल इस बात को कभी पचा नहीं पाया कि वह 2004 में सत्ता से बाहर हो गया।"
इस टिप्पणी पर सदन में हंगामा हुआ और भाजपा सदस्यों ने इसका जोरदार विरोध किया। उप सभापति पीजे कुरियन के हस्तक्षेप के बाद सदन में व्यवस्था फिर से कायम हुई।
मनमोहन सिंह ने कहा, "आपने किसी भी संसद में ऐसी स्थिति के बारे में सुना है, जहां प्रधानमंत्री को अपने मंत्रिपरिषद के सदस्यों से परिचय कराने की अनुमति नहीं दी जाती हो? आपने किसी भी देश में ऐसा सुना है कि प्रमुख विपक्षी दल के सदस्य सदन के बीचोबीच आकर अभद्र टिप्पणियों के जरिए नारा लगाते हैं?"
पलटवार करते हुए नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा, "क्या आपने ऐसे देश के बारे में सुना है, जहां प्रधानमंत्री वोट खरीद कर विश्वासमत हासिल करता है?" जेटली के इस सवाल पर कांग्रेस के सदस्य उत्तेजित हो गए और नारेबाजी करने लगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में वर्ष 1991 के जैसा आर्थिक संकट नहीं है। देश के पास 280 अरब डॉलर का विदेशी विनिमय रिजर्व है जो सात महीने तक आयात के लिए पर्याप्त है।
यह राजनीतिक लड़ाई संसद में ही खत्म नहीं हुई। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को ट्विटर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना करते हुए कहा कि जिस प्रकार रुपये की कीमत में गिरावट आ रही है उसी प्रकार प्रधानमंत्री ने अपनी शिष्टता खोई है।
इसके बाद भाजपा ने देश में अनिश्चितता के माहौल को खत्म करने के लिए समय से पहले लोकसभा का चुनाव कराने की मांग की।
भाजपा के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और मांग की कि देश में 'अनिश्चितता' का मौजूदा वातावरण समाप्त करने के लिए जल्द आम चुनाव कराए जाएं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मीडिया से कहा, "देश में अनिश्चितता के मौजूदा वातावरण को खत्म करने का उपाय लोकसभा चुनाव है, इसे विधानसभा चुनावों के साथ 2013 में ही कराया जाना चाहिए।"
भारतीय अर्थव्यवस्था पर आए अभूतपूर्व संकट पर उन्होंने भाजपा सदस्यों की ओर से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया है, "अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का लगातार अवमूल्यन भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही गंभीर बीमारी का केवल एक लक्षण भर है।"
आडवाणी ने कहा कि सरकार वर्तमान संकट के लिए खुद के अलावा हर किसी को दोषी ठहरा रही है। उन्होंने कहा, "हमने इस तरह की सरकार नहीं देखी, जिसमें मौजूदा वित्त मंत्री आर्थिक समस्याओं के लिए पूर्ववर्ती वित्त मंत्री पर दोष डालता हो, जो कि अब जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं।" ज्ञापन में कहा गया है कि एक ऐसी सरकार जो पंगु हो चुकी है, उसे देश नहीं झेल सकता।
साथ ही कहा गया है, "हम आपसे यह आग्रह करने आए हैं कि वर्तमान अनिश्चितता को खत्म करने के लिए आप सरकार को जल्द से जल्द नया जनादेश हासिल करने की सलाह दें। यह समय अगले तीन महीने बाद चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही कराया जाना चाहिए।"
ज्ञात हो कि दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव नवंबर के अंत से पहले होने वाले हैं।
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