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This Article is From Jun 14, 2020

दिल्ली का यह अस्पताल मरीजों को कोरोना से लड़ने और आइसोलेशन में अकेलापन दूर करने में ऐसे कर रहा मदद...

दिल्ली का एक अस्पताल कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की सिर्फ बीमारी से लड़ने में ही मदद नहीं कर रहा है, बल्कि फोन कॉल और चैट के जरिए अकेलेपन में उनसे संपर्क भी स्थापित कर रहा है.

दिल्ली का यह अस्पताल मरीजों को कोरोना से लड़ने और आइसोलेशन में अकेलापन दूर करने में ऐसे कर रहा मदद...
प्रतीकात्मक.
नई दिल्ली:

देश में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है. कोरोनावायरस न सिर्फ शरीर को कमजोर करती है, बल्कि मरीजों को सबसे दूर करके आइसोलेशन में ले जाती है जो असहनीय होता है. मगर दिल्ली का एक अस्पताल कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की सिर्फ बीमारी से लड़ने में ही मदद नहीं कर रहा है, बल्कि फोन कॉल और चैट के जरिए अकेलेपन में उनसे संपर्क भी स्थापित कर रहा है. पूर्वी दिल्ली स्थित राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल (आरजीएसएसएच) के डॉक्टर एवं नर्सें नियमित रूप से मरीजों से मुखातिब होते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग और अलग रहने के समय में 'वे जिदंगी में हार नहीं मानें.'

आरजीएसएसएच के निदेशक डॉ बीएल शेरवाल ने कहा, 'हमने इस परियोजना को करीब डेढ़ महीने पहले शुरू किया था और इसे 'संपर्क से दूर लोगों से संपर्क' नाम दिया गया है. इस विचार का मकसद था कि मरीजों को इलाज के दौरान एकांतवास से निपटने में मदद की जाए और हमारी रोगी देखभाल व्यवस्था में सुधार के लिए प्रतिपुष्टि (फीडबैक) भी ली जाए.' आरजीएसएसएच में 500 बेड हैं. यह अस्पताल मार्च से ही महामारी से प्रभावित मरीजों का इलाज कर रहा है. यह शुरू से ही कोविड-19 समर्पित अस्पताल है. अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित उन मरीजों को भर्ती किया जाता है जिनकी हालत गंभीर होती है.

शेरवाल ने बताया, 'पहल के तहत, डॉक्टरों और नर्सों की एक टीम आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों को नियमित कॉल करती हैं और उनकी सामान्य खैरियत के बारे में जानकारी लेती हैं. मैंने भी उनमें से कई से बात की है और उन्होंने मुझसे अपनी कहानियां साझा की हैं.' वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है कि मरीज को एक फोन कॉल बहुत फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि कई मामलों में मरीज शरीर को कमजोर कर देने वाली बीमारी से उम्मीद नहीं खोता है, बल्कि अलग-थलग रहने के दौरान अकेलपन से परेशान हो जाता है.

अस्पताल के शिकायत निवारण प्रणाली की डॉक्टर प्रभारी मरीजों को फोन करते हैं और खैरियत पूछते हैं और उनकी शिकायतें सुनते हैं. पूछा गया कि यह व्यवस्था लाने के लिए उन्हें किसने प्रोत्साहित किया तो शेरवाल ने कहा कि तबलीगी जमात प्रकरण के दौरान सोशल मीडिया पोस्टों के कारण इसकी शुरुआत हुई. उस वक्त बड़ी संख्या में जमात के सदस्यों को निजामुद्दीन इलाके से अस्पताल लाया गया था, जहां एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था.

उन्होंने कहा, 'आइसोलेशन में एक सामान्य व्यक्ति अलग तरह से व्यवहार करता है और उसे हम समझते हैं. उस समय सोशल मीडिया पर कई वीडियो डाली गईं जो वार्डों को दिखाती थी. हमने इन्हें दो तरीकों से लिया. हमने देखा कि अगर हमारी व्यवस्था में कोई खामी पाई जाती है तो उसमें सुधार किया जाए और वीडियो में लगाए गए आरोपों का विरोध किया.'
शेरवाल ने कहा कि लिहाजा रोगी देखभाल व्यवस्था में सुधार शुरू हुआ. अस्पताल कोरोना वायरस से पूरी तरह से ठीक होने के बाद अपने 1000वें मरीज को जल्द छुट्टी देगा.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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