शिमला:
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हैदराबाद कॉलेज के 24 इंजीनियरिंग छात्रों में प्रत्येक के माता-पिता को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। ये छात्र आठ जून 2014 को कुल्लू जिले में थलोत के पास ब्यास नदी में बह गए थे।
हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुआवजा आठ हफ्ते के अंदर अदा किया जाए। मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की एक खंड पीठ ने निर्देश दिया कि पहले ही अदा किए जा चुके पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा सहित मुआवजे की राशि हादसे के समय से लेकर राशि जारी किए जाने तक की तारीख तक 7.5 फीसदी सालाना ब्याज के साथ अदा की जाए।
अदालत ने हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड, इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंधन और राज्य सरकार से 60:30:10 के अनुपात में धन देने को कहा है।
अदालत ने कहा कि बोर्ड के अधिकारियों की एक बड़ी भूमिका थी और वे सावधानी बरतने में नाकाम रहे और इसलिए 60 फीसदी तक राशि की जवाबदेही उनकी है। अदालत ने इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर लेते हुए मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया।
गौरतलब है कि हैदराबाद स्थित वीएनआर विज्ञान ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के 24 छात्र और एक सह टूर ऑपरेटर ब्यास नदी की धारा में बह गए थे, जब लारजी परियोजना के अधिकारियों ने पिछले साल आठ जून को लारजी बांध से अचानक ही पानी छोड़ दिया था।
हाईकोर्ट ने ब्यास नदी की धारा में बह गए प्रत्येक छात्र के माता-पिता को 25 जून को पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया था।
हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुआवजा आठ हफ्ते के अंदर अदा किया जाए। मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की एक खंड पीठ ने निर्देश दिया कि पहले ही अदा किए जा चुके पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा सहित मुआवजे की राशि हादसे के समय से लेकर राशि जारी किए जाने तक की तारीख तक 7.5 फीसदी सालाना ब्याज के साथ अदा की जाए।
अदालत ने हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड, इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंधन और राज्य सरकार से 60:30:10 के अनुपात में धन देने को कहा है।
अदालत ने कहा कि बोर्ड के अधिकारियों की एक बड़ी भूमिका थी और वे सावधानी बरतने में नाकाम रहे और इसलिए 60 फीसदी तक राशि की जवाबदेही उनकी है। अदालत ने इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर लेते हुए मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया।
गौरतलब है कि हैदराबाद स्थित वीएनआर विज्ञान ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के 24 छात्र और एक सह टूर ऑपरेटर ब्यास नदी की धारा में बह गए थे, जब लारजी परियोजना के अधिकारियों ने पिछले साल आठ जून को लारजी बांध से अचानक ही पानी छोड़ दिया था।
हाईकोर्ट ने ब्यास नदी की धारा में बह गए प्रत्येक छात्र के माता-पिता को 25 जून को पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया था।
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