विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने हिंसा प्रभावित इराक की स्थिति पर विचार-विमर्श करने के लिए आज खाड़ी देशों में भारत के शीर्ष दूतों की एक बैठक की अध्यक्षता की।
भारत सरकार इराक में गैर-संघर्ष वाले इलाकों से अपने करीब 10 हजार नागरिकों को बाहर निकालने के लिए सुविधाएं मुहैया कराने की प्रक्रिया में है। भारतीय दूतों के अलावा भारत में नियुक्त खाड़ी देशों के राजदूत भी बैठक में शामिल हुए।
इसका उद्देश्य इराक में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उन्हें बाहर निकालने के लिए भविष्य की रणनीति तैयार करना था। भारत ने गैर-संघर्ष वाले क्षेत्रों से करीब 10 हजार भारतीयों को निकलने में मदद के लिए तीन कैंप कार्यालय स्थापित किए हैं।
विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता ने कैंप कार्यालयों का ब्यौरा देते हुए कल कहा था कि उन कैंपों के अधिकारी भारतीयों के कार्यस्थल पर जाएंगे और उनके चाहने पर वापसी में मदद करेंगे। यात्रा दस्तावेज मुहैया कराने के अलावा मंत्रालय उन्हें नि:शुल्क हवाई टिकट भी मुहैया कराएगा, अगर वे टिकटों का खर्च नहीं कर सकते।
आज ही एनएसए, कैबिनेट सचिव और एनडीआरएफ प्रमुख की इराक में फंसे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर बैठक भी है। इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी दी जाएगी।
नौसेना के सूत्रों की मानें, तो नौसेना ने फारस की खाड़ी में अपना जंगी जहाज आईएनएस मैसूर तैनात कर दिया है। एक और जंगी जहाज आईएनएस तरकश को अदन की खाड़ी में तैनात किया है और जरूरत पड़ने पर इराक से लोगों को निकालने के अभियान में इनका इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं भारतीय वायुसेना ने भी विमान तैनात कर रखे हैं। इराक के कई हिस्सों में करीब 10 हजार भारतीय रह रहे हैं।
(इनपुट भाषा से भी)
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