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धोखाधड़ी के आरोपों के बीच HDFC के CEO क्यों पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, पढ़ें क्या है पूरा मामला

जगदीशन के खिलाफ बांद्रा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है. उन पर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात के तहत मामला दर्ज किया गया है.

धोखाधड़ी के आरोपों के बीच HDFC के CEO क्यों पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, पढ़ें क्या है पूरा मामला
  • सुप्रीम कोर्ट पहुंचे HDFC बैंक के CEO और MD शशिधर जगदीशन 
  • सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई को तैयार 
  • मुंबई के लीलावती अस्पताल के ट्रस्टियों ने दर्ज कराई है FIR
  • बॉम्बे हाईकोर्ट की तीन बेंचें इस पर सुनवाई नहीं कर सकी हैं 
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देश के बड़े बैंकों में शामिल HDFC बैंक के CEO और MD शशिधर जगदीशन पर धोखाधड़ी के मामले में FIR हुई थी, जिसके खिलाफ शशिधर जगदीशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. साथ ही गुरुवार को HDFC की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच से जल्द सुनवाई की मांग की है.

वकील ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

वकील मुकुल रोहतगी ने कहा है कि, लीलावती अस्पताल के ट्रस्टियों द्वारा प्रबंध निदेशक के खिलाफ बेबुनियाद FIR दर्ज की गई है. दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को शशिधर जगदीशन की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. इसमें लीलावती कीर्तिलाल मेहता ट्रस्ट द्वारा धोखाधड़ी के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी.

 पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई तात्कालिकता नहीं है और मामले को 14 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है. 

'2.05 करोड़ रुपये की ली गई रिश्वत'

ट्रस्ट द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार,  जगदीशन ने ट्रस्ट के प्रशासन पर अवैध और अनुचित नियंत्रण बनाए रखने में चेतन मेहता समूह की मदद करने के लिए वित्तीय सलाह प्रदान करने के बदले में कथित रूप से 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत स्वीकार की.

ट्रस्ट ने जगदीशन पर एक प्रमुख निजी बैंक के प्रमुख के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करके एक धर्मार्थ संगठन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है. 

क्या है पूरा मामला
 

बता दें कि ट्रस्ट द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 175 (3) के तहत बांद्रा मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के बाद जगदीशन के खिलाफ बांद्रा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है. उन पर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया था. ट्रस्ट ने इस मामले की CBI से जांच कराने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की है

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