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This Article is From Jan 14, 2024

Gantantra ke Special 26: भारत की घातक मिसाइलें... दुश्मन के खेमे में मचा सकती हैं खलबली

Gantantra ke Special 26: भारतीय सेना की ताकत के कई पहलू है. सेना की ताकत को बढ़ाने में उन मिसाइलों की भी अहम भूमिका है, जो पास से भी मार कर सकती हैं और दूर से भी... हवा में भी लक्ष्‍य को नष्‍ट कर सकती हैं और हज़ारों मील दूर सतह पर भी. ये मिसाइलें आपको इस गणतंत्र दिवस पर परेड के दौरान दिखेंगी.

Gantantra ke Special 26: भारत की घातक मिसाइलें... दुश्मन के खेमे में मचा सकती हैं खलबली
सेना की ताकत को बढ़ाने में मिसाइलों की भी अहम भूमिका...
नई दिल्‍ली:

गणतंत्र के स्पेशल 26 में बात भारतीय सेना के शामिल डीआरडीओ (DRDO) की उन तीन मिसाइलों की, जो युद्ध में बेहद कारगर साबित हो सकती हैं. गणतंत्र दिवस के अवसर पर इन 3 मिसाइलों की झलक भी कर्तव्य पथ पर दिखेगी. इसमें से पहला एक साथ 6 मिसाइल दाग़ सकता है, तो दूसरा टैंक उड़ा सकता है, वहीं तीसरा हवाई हमले से सुरक्षा करने वाला है.

इसका निशाना नहीं चूकता...

क्‍यूआरएसएएम (QRSAM) यानि क्विक रिस्पॉन्स सरफ़ेस-टु-एयर मिसाइल. ये सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. ये किसी भी निशाने तक पहुंचने में सक्षम है. 3 किलोमीटर से लेकर 30 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्‍य को ये भेद सकती है. रात हो या दिन, इसका निशाना नहीं चूकता. ये बहुत आधुनिक और उन्नत वायुरक्षा प्रणाली है, जिसे डीआरडीओ (DRDO) ने विकसित किया है. युद्ध के समय ये कई हमले नाकाम कर सकता है. इसमें सर्विलांस रडार है और मल्टी फंक्शन रडार भी... इसके अलावा कमांड और मोबाइल लांचर भी है. ये प्रणाली एक साथ छह मिसाइलें दाग़ सकती है. इसे कभी भी चलते हुए भी फ़ायर किया जा सकता है. 

तीसरी पीढ़ी की मिसाइल

एकपीएटीजीएम (MPATGM) यानि मैन पोर्टेबल ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल... जैसा कि नाम से जाहिर है, इसे एक सैनिक भी इस्तेमाल कर सकता है. ये तीसरी पीढ़ी की मिसाइल हैं. ये फ़ायर ऐंड फॉरगेट थ्यूरी पर काम करता है यानी इसका बस एक ही बार इस्तेमाल होता है. इसे वापस नहीं लिया जा सकता या इसकी दिशा नही मोड़ी जा सकती है. इसे एक थर्मल साइट से जोड़ा गया है, जिससे निशाने का पता लगाना आसान होता है. इसकी रेज 2.5 किलोमीटर है. 

पहाड़ी इलाक़ों के लिए बेहद कारगर

वेरी शॉर्ट रेज एयर डिफ़ेंस सिस्टम... इसे हैदराबाद के रिसर्च सेंटर इमारत ने तैयार किया है. इसमें उसे डीआरडीओ का सहयोग मिला है. ये चौथी पीढ़ी की प्रणाली है. ये कम दूरी और कम ऊंचाई वाले हवाई ख़तरों को रोकती है. इसे पहाड़ी इलाक़ों में इस्तेमाल किया जा सकता है. हवाई हमलों से बचाने में ये काफ़ी कारगर है. इसे भी एक आदमी ला और ले जा सकता है. 

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