नालंदा विश्वविद्यालय की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता अमर्त्य सेन द्वारा अपनी उम्मीदवारी वापस लिए जाने के दो महीने से भी अधिक समय बाद विदेश मंत्रालय ने सिंगापुर के पूर्व विदेश जॉर्ज इयो विश्वविद्यालय को नए चांसलर बनाए जाने की घोषणा की।
साल 2012 में पद्म भूषण से नवाजे गए 60 साल के इयो फिलहाल इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के संचालक मंडल के सदस्य हैं। यह विश्वविद्यालय बिहार के राजगीर में है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, 'सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जार्ज इयो नालंदा विश्वविद्यालय के नए कुलाधिपति होंगे।' फरवरी में सेन ने यह कहते हुए दूसरे कार्यकाल के लिए कुलाधिपति के रूप में अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी कि नरेंद्र मोदी सरकार नहीं चाहती है कि वह इस पद पर बने रहें। हालांकि सरकार ने उनके आरोप का खंडन किया था।
मोदी के आलोचक सेन ने उनके नाम पर राष्ट्रपति से मंजूरी में विलंब के लिए उनके पुनर्नामांकन में सरकार से अनुमोदन नहीं मिलने को जिम्मेदार ठहराया था।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सेन ने विश्वविद्यालय के संचालक मंडल को भेजे पत्र में कहा था, 'मेरे लिए इस निष्कर्ष पर पहुंच पाना कठिन नहीं था कि सरकार चाहती है कि जुलाई के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के पद मैं नहीं बना रहूं और तकनीकी रूप से, उसे ऐसा करने का अधिकार है।'
सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री इस प्राचीन शिक्षण स्थल की बहाली में अहम भूमिका निभा रहे हैं और उन्हें सार्वजनिक मामलों के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर सराहा गया है।
नालंदा विश्वविद्यालय को दोबारा अस्तित्व में लाने करने का विचार 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने रखा था। यह विश्वविद्यालय बिहार में इस प्राचीन अकादमिक स्थल के अवशेषों पर उसी नाम से बनाया जा रहा है और पूर्व एशिया सम्मेलन के कई सदस्य देश इस परियोजना में शामिल हैं।
सरकार ने फिलीपीन में जनवरी, 2007 में दूसरे पूर्व एशिया सम्मेलन और बाद में थाइलैंड में चौथे पूर्व एशिया सम्मेलन में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए किए गए निर्णयों को लागू करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 बनाया था।
पूर्व एशिया सम्मेलन इस क्षेत्र के विभिन्न देशों के आसियान के साथ सहयोग के लिए एक मंच है और उसमें आसियान देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड, रूस और अमेरिका हैं।
साल 2012 में पद्म भूषण से नवाजे गए 60 साल के इयो फिलहाल इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के संचालक मंडल के सदस्य हैं। यह विश्वविद्यालय बिहार के राजगीर में है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, 'सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जार्ज इयो नालंदा विश्वविद्यालय के नए कुलाधिपति होंगे।' फरवरी में सेन ने यह कहते हुए दूसरे कार्यकाल के लिए कुलाधिपति के रूप में अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी कि नरेंद्र मोदी सरकार नहीं चाहती है कि वह इस पद पर बने रहें। हालांकि सरकार ने उनके आरोप का खंडन किया था।
मोदी के आलोचक सेन ने उनके नाम पर राष्ट्रपति से मंजूरी में विलंब के लिए उनके पुनर्नामांकन में सरकार से अनुमोदन नहीं मिलने को जिम्मेदार ठहराया था।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सेन ने विश्वविद्यालय के संचालक मंडल को भेजे पत्र में कहा था, 'मेरे लिए इस निष्कर्ष पर पहुंच पाना कठिन नहीं था कि सरकार चाहती है कि जुलाई के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के पद मैं नहीं बना रहूं और तकनीकी रूप से, उसे ऐसा करने का अधिकार है।'
सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री इस प्राचीन शिक्षण स्थल की बहाली में अहम भूमिका निभा रहे हैं और उन्हें सार्वजनिक मामलों के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर सराहा गया है।
नालंदा विश्वविद्यालय को दोबारा अस्तित्व में लाने करने का विचार 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने रखा था। यह विश्वविद्यालय बिहार में इस प्राचीन अकादमिक स्थल के अवशेषों पर उसी नाम से बनाया जा रहा है और पूर्व एशिया सम्मेलन के कई सदस्य देश इस परियोजना में शामिल हैं।
सरकार ने फिलीपीन में जनवरी, 2007 में दूसरे पूर्व एशिया सम्मेलन और बाद में थाइलैंड में चौथे पूर्व एशिया सम्मेलन में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए किए गए निर्णयों को लागू करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 बनाया था।
पूर्व एशिया सम्मेलन इस क्षेत्र के विभिन्न देशों के आसियान के साथ सहयोग के लिए एक मंच है और उसमें आसियान देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड, रूस और अमेरिका हैं।
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