स्कूल स्टूडेंट्स के साथ डॉक्टर कलाम (फाइल फोटो): एएफपी
वॉशिंगटन:
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के निधन पर भारतवासियों के साथ भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने भी शोक जताया और कहा कि यह उनकी ‘सादगी और विनम्रता’ ही थी जिसने उन्हें सभी का प्यारा बना दिया।
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी-यूएस के अध्यक्ष चंद्र पटेल ने कहा, 'उनकी सादगी, विनम्रता और उनके प्रेरक व्यक्तित्व ने उन्हें सभी का प्यारा बना दिया और वह हाल के दिनों में भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे हैं।’
कलाम अक्तूबर में 84 वर्ष की उम्र के हो जाते। आईआईएम शिलांग में व्याख्यान देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से कल उनका निधन हो गया। पटेल ने कहा, ‘डॉ. कलाम वास्तव में भारत के ‘जनता के राष्ट्रपति’ थे और वह बच्चों से बहुत स्नेह करते थे। भारत के लिए उनके मूल्यवान योगदानों के लिए दुनिया भर में फैले सभी भारतीय उन्हें सलाम करते हैं। उनका निधन राष्ट्र के लिए जबर्दस्त क्षति है और उनके जाने से पैदा हुए रिक्त स्थान को कभी नहीं भरा जा सकता है।’
नॉर्थ अमेरिका तेलुगू सोसाइटी (एनएटीएस) ने एक बयान में कहा कि कलाम के आकस्मिक निधन से ‘‘गहरा दुख’’ हुआ है। तेलुगू एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (टीएएनए) ने एक अन्य बयान में कहा, ‘डॉ. कलाम का तेलुगू भूमि से विशेष रिश्ता था क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा यहीं बिताया।’ टीएएनए कलाम के ‘लीड इंडिया 2010’ आंदोलन का समर्थक था।
भारतीय-अमेरिकी अटॉर्नी रवि बत्रा ने कहा, ‘एपीजे अब्दुल कलाम भारत के लोगों के लिए विशाल विरासत छोड़ी है और यहां तक कि दुनिया के लिए भी उन्होंने कहीं अधिक विशाल विरासत दिया है।’
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी-यूएस के अध्यक्ष चंद्र पटेल ने कहा, 'उनकी सादगी, विनम्रता और उनके प्रेरक व्यक्तित्व ने उन्हें सभी का प्यारा बना दिया और वह हाल के दिनों में भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे हैं।’
कलाम अक्तूबर में 84 वर्ष की उम्र के हो जाते। आईआईएम शिलांग में व्याख्यान देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से कल उनका निधन हो गया। पटेल ने कहा, ‘डॉ. कलाम वास्तव में भारत के ‘जनता के राष्ट्रपति’ थे और वह बच्चों से बहुत स्नेह करते थे। भारत के लिए उनके मूल्यवान योगदानों के लिए दुनिया भर में फैले सभी भारतीय उन्हें सलाम करते हैं। उनका निधन राष्ट्र के लिए जबर्दस्त क्षति है और उनके जाने से पैदा हुए रिक्त स्थान को कभी नहीं भरा जा सकता है।’
नॉर्थ अमेरिका तेलुगू सोसाइटी (एनएटीएस) ने एक बयान में कहा कि कलाम के आकस्मिक निधन से ‘‘गहरा दुख’’ हुआ है। तेलुगू एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (टीएएनए) ने एक अन्य बयान में कहा, ‘डॉ. कलाम का तेलुगू भूमि से विशेष रिश्ता था क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा यहीं बिताया।’ टीएएनए कलाम के ‘लीड इंडिया 2010’ आंदोलन का समर्थक था।
भारतीय-अमेरिकी अटॉर्नी रवि बत्रा ने कहा, ‘एपीजे अब्दुल कलाम भारत के लोगों के लिए विशाल विरासत छोड़ी है और यहां तक कि दुनिया के लिए भी उन्होंने कहीं अधिक विशाल विरासत दिया है।’
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