मुंबई:
बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के दिन मुंबई बंद को लेकर फेसबुक पर टिप्पणी करने वाली दो लड़कियों की गिरफ्तारी के एक हफ्ते बाद बंबई हाईकोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने और फिर जमानत देने वाले मजिस्ट्रेट का तबादला कर दिया है।
इसी मुद्दे पर राज्य सरकार ने ठाणे देहात के एसपी रविंद्र सेनगांवकर और पुलिस इंस्पेक्टर श्रीकांत पिंगले को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा एडिशनल एसपी संग्राम निशानदार से भी नाराजगी जताई गई है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने स्थानांतरण आदेश जारी किए, जिसके बाद इससे गृह मंत्रालय, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आरजी बगाड़े को अवगत करा दिया गया।
आदेश में कहा गया है, पालघर में प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी आरजी बगाड़े को तत्काल प्रभाव से जलगांव स्थानांतरित किया जा रहा है। ठाकरे के अंतिम संस्कार पर 18 नवम्बर को मुंबई बंद को लेकर शाहीन ढांडा ने फेसबुक पर एक टिप्पणी लगाई थी और रेणु श्रीनिवासन ने इसे ‘लाइक’ किया था। इसे लेकर पिछले सोमवार को दोनों को गिरफ्तार किया गया था।
बाद में लड़कियों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया और बाद में 15-15 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी।
इस घटना से कानूनविदों में बहस छिड़ गई कि लड़कियों को जमानत देने के बजाए उन्हें मामले से बरी किया जा सकता था, क्योंकि उन पर गलत धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इसी मुद्दे पर राज्य सरकार ने ठाणे देहात के एसपी रविंद्र सेनगांवकर और पुलिस इंस्पेक्टर श्रीकांत पिंगले को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा एडिशनल एसपी संग्राम निशानदार से भी नाराजगी जताई गई है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने स्थानांतरण आदेश जारी किए, जिसके बाद इससे गृह मंत्रालय, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आरजी बगाड़े को अवगत करा दिया गया।
आदेश में कहा गया है, पालघर में प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी आरजी बगाड़े को तत्काल प्रभाव से जलगांव स्थानांतरित किया जा रहा है। ठाकरे के अंतिम संस्कार पर 18 नवम्बर को मुंबई बंद को लेकर शाहीन ढांडा ने फेसबुक पर एक टिप्पणी लगाई थी और रेणु श्रीनिवासन ने इसे ‘लाइक’ किया था। इसे लेकर पिछले सोमवार को दोनों को गिरफ्तार किया गया था।
बाद में लड़कियों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया और बाद में 15-15 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी।
इस घटना से कानूनविदों में बहस छिड़ गई कि लड़कियों को जमानत देने के बजाए उन्हें मामले से बरी किया जा सकता था, क्योंकि उन पर गलत धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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