डोंडिया खेड़ा में खुदाई को लेकर एनडीटीवी को एक अहम जानकारी मिली है। इसके मुताबिक, खुदाई की तारीख़ 18 अक्टूबर एएसआई ने पहले ही प्रस्तावित कर दी थी। अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या बाबा शोभन ने अपने सिर खुदाई का सेहरा खुद बांधा है...?
उत्तर प्रदेश के डोंडियाखेड़ा में सोने के खज़ाने की खोज के लिए खुदाई शुरू हो गई है लेकिन इस मामले में एनडीटीवी को मिली जानकारी के अनुसार यहां खुदाई की तारीख़ पहले से ही तय थी।
एएसआई ने खुदाई की तारीख़ 18 अक्टूबर तय कर रखी थी।
माना जा रहा है कि यह खजाना राजा राव राम बख़्श का है। उनके पुरखे कोटवर के 12 परगनों में रहते थे। बख़्श की पांचवी पीढ़ी यानी राजा तिरलोक चंद डोंडिया खेड़ा आ गए। राम बख़्श ने कानपुर के बिरहाना रोड में आभूषण की दुकान खोल ली। तब कानपुर एक नया ट्रेड सेंटर बन रहा था। कलकत्ता के मशहूर बैंकर प्रयाग नारायण तिवारी राजा बलभद्र प्रसाद तिवारी 1854 में कानपुर आ गए।
जब गदर शुरू हुआ तो ये लोग घबरा गए। तिवारी समेत कई लोगों ने अपना सोना राम बख़्श के किले में गड़वा दिया। कंपनी बहादुर को पता चला तो उन्होंने बख़्श को किला हवाले करने को कहा।
बख़्श के इनकार करने पर अंग्रेज़ों ने डकैतों को शरण देने का आरोप लगा दिया। राम बख़्श को फांसी दे दी गई और क़िले पर कब्ज़ा कर लिया गया। अंग्रेज़ वह जगह नहीं तलाश सके जहां सोना गड़ा था। य हबात अमेरिकी पत्रकार रसेल ने गदर के आंखों देखे वर्णन में लिखी है।
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