रक्षा मंत्रालय ने आज अगले थलसेना अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया की दिशा में आगे बढ़ने का फैसला करते हुए थलसेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग के नाम की सिफारिश शीर्ष सैन्य पद के लिए की।
उच्च-पदस्थ सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने चुनाव आयोग से हरी झंडी मिलने के तुरंत बाद कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) को यह सिफारिश भेजी। मंत्रालय ने आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर इस मामले में चुनाव आयोग की राय मांगी थी।
सूत्रों ने बताया कि थलसेना अध्यक्ष पद के लिए 59 साल के लेफ्टिनेंट जनरल सुहाग के नाम की ही सिर्फ सिफारिश की गई है, क्योंकि वह सभी लेफ्टिनेंट जनरलों में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं।
अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति को इस सिफारिश पर फैसला करना है।
मौजूदा थलसेना अध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह 31 जुलाई को सेवानिवृत होंगे और परंपरा के मुताबिक सरकार वर्तमान थलसेना प्रमुख का कार्यकाल खत्म होने से दो महीने पहले नए प्रमुख के नाम की घोषणा करती है।
अगले थलसेना प्रमुख की नियुक्ति का मामला विवादों में घिर गया है, क्योंकि बीजेपी सरकार की 'जल्दबाजी' पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध कर रही है और जोर देते हुए कह रही है कि यह फैसला अगली सरकार पर छोड़ देना चाहिए।
इससे पहले, आज दिन में चुनाव आयोग ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर थलसेना अध्यक्ष की नियुक्ति के मामले में हरी झंडी दे दी थी। चुनाव आयोग ने अपने 27 मार्च के आदेश का हवाला देते हुए साफ किया कि रक्षा बलों की नियुक्तियों, तरक्कियों, निविदाओं और खरीद के मामले मौजूदा चुनावों की आदर्श आचार संहिता या भविष्य के किसी भी चुनाव की आदर्श आचार संहिता के दायरे में नहीं आते।
सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय द्वारा मांगे गए सुझाव के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि अगर सरकार चाहती है तो वह अगले थलसेना प्रमुख को नियुक्त किए जाने की प्रक्रिया की दिशा में आगे बढ़ सकती है।
इस बीच, निवर्तमान सरकार द्वारा नए थलसेना अध्यक्ष की नियुक्ति के 'राजनीतिक औचित्य' पर बीजेपी ने तुरंत सवाल उठाया। बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के पास 'महज 90 घंटे' बचे हैं और 'मैं इसे उनके राजनीतिक औचित्य के फैसले पर छोड़ता हूं कि जब यह पद जुलाई के अंत में खाली हो रहा है तो ऐसे में नए थलसेना प्रमुख को नियुक्त किया जाना चाहिए या नहीं।'
अगले थलसेना प्रमुख की नियुक्ति का बीजेपी की ओर से कड़ा विरोध किए जाने पर पिछले हफ्ते सरकार ने यह कहते हुए मामले को चुनाव आयोग के पास भेज दिया था कि आयोग की सहमति मिलने पर ही इस पर कोई फैसला किया जाएगा।
बीजेपी यूपीए सरकार द्वारा अगले थलसेना अध्यक्ष की नियुक्ति का विरोध करते हुए यह दलील देती रही है कि इस मामले में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए और यह मुद्दा अगली सरकार पर छोड़ देना चाहिए।
मौजूदा थलसेना अध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह की नियुक्ति उनके पूर्ववर्ती जनरल वीके सिंह की सेवानिवृति के तीन महीने पहले की गई थी। वीके सिंह और रक्षा मंत्रालय के बीच उथल-पुथल भरे रिश्ते रहे थे। उन्होंने अपनी उम्र से जुड़े विवाद में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में भी घसीट लिया था। सेवानिवृति के बाद वीके सिंह भाजपा में शामिल हुए और गाजियाबाद से पार्टी के लोकसभा उम्मीदवार हैं।
गौरतलब है कि थलसेना अध्यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में वीके सिंह ने तत्कालीन 3 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सुहाग पर 'अनुशासनात्मक एवं निगरानी प्रतिबंध' लगा दिया था। सुहाग पर 'कमांड और नियंत्रण में नाकामी' का आरोप था, क्योंकि उनके मातहत एक खुफिया इकाई ने कॉर्प्स के अधिकार क्षेत्र के बाहर असम के जोरहाट में कथित तौर पर डकैती को अंजाम दिया था।
जनरल बिक्रम सिंह के थलसेना अध्यक्ष बनते ही सुहाग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया। जनरल बिक्रम सिंह ने सुहाग को पूर्वी थलसेना कमांडर नियुक्त किया था।
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