DMK सांसद कनिमोझी ने आयुष मंत्रालय के सचिव द्वारा गैर-हिंदी भाषी योग शिक्षकों और चिकित्सकों को वेबिनार से बाहर निकलने के लिए कहने पर हमला बोला है. कनिमोझी ने कहा कि ये घटना "अत्यधिक निंदनीय" है. उन्होंने मामले में आयुष मंत्री श्रीपद नाइक को पत्र लिखा है और मामले की जांच की मांग की है.
कनिमोझी ने पत्र में नाइक को भूतपूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा संसद में किए गए वादे की याद दिलाई जिसमें कहा गया था कि जब तक गैर-हिंदी भाषी राज्यों को सहयोगी भाषा के रूप में अंग्रेजी की आवश्यकता है, तब तक ऐसा जारी रहेगा. सांसद ने कह है कि मामले में जांच के आदेश दिए जाएं और उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिन्होंने भाषा के आधार भेदभाव किया है.
My letter to the Honorable Union Minister @shripadynaik on the reported hindi imposition.#StopHindiImposition pic.twitter.com/Wzlib2f9fl
— Kanimozhi (கனிமொழி) (@KanimozhiDMK) August 22, 2020
कनिमोझी ने मांग की है कि मंत्रालय के सभी अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वे अंग्रेजी में सभी बैठकों का संचालन करें. कनिमोझी ने NDTV से बातचीत में कहा,"यह देश के एक हिस्से को अलग करने जैसा है. आपको ऐसा क्यों करना है? आप कम से कम सबटाइटल लगाने का प्रयास कर सकते हैं. मुझे नहीं लगता कि किसी भी अधिकारी को यह कहने का अधिकार है, 'मैं केवल बोलने जा रहा हूं. हिंदी में, आप समझ नहीं सकते तो छोड़ दें.' ''
The statement of Secretary of the Union Ministry of AYUSH Vaidya Rajesh Kotecha that non Hindi speaking participants could leave during a Ministry's training session speaks volumes about the Hindi domination being imposed.This is highly condemnable... 1/4#StopHindiImposition
— Kanimozhi (கனிமொழி) (@KanimozhiDMK) August 22, 2020
उन्होंने कहा, "वे दोनों भाषाओं को सीखने का प्रयास क्यों नहीं कर सकते हैं ताकि वे हर किसी से संवाद कर सकें? हम एक भाषा को थोपने पर सवाल उठा रहे हैं." कनिमोझी ने ट्वीट किया, "केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सचिव का कथन, कि गैर-हिंदी भाषी प्रतिभागी मंत्रालय के प्रशिक्षण सत्र के दौरान छोड़ सकते हैं, हिंदी के वर्चस्व की बात है . यह बहुत ही निंदनीय है."
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