नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से उस याचिका पर विचार करने को कहा, जिसमें देशभर में विमान किरायों को सीमित करने का अनुरोध किया गया। अदालत ने मंत्रालय से आठ हफ्तों के भीतर उचित आदेश पारित करने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने अधिवक्ता अमित साहनी द्वारा दायर इस याचिका का निपटारा किया, जिसमें अधिकारियों को दिशा-निर्देश तय करने का निर्देश देने की मांग की गई ताकि विमान किरायों को सीमित किया जा सके और निजी विमानन कंपनियों को मनमाने तरीके से उड़ानों के लिए पैसा लेने से रोका जा सके।
पीठ ने मंत्रालय से कानून के अनुसार आदेश पारित करने को कहा और उसे निर्देश दिया कि इस संबंध में किसी भी फैसले के बारे में याचिकाकर्ता को जानकारी दी जाए।
अधिवक्ता अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने विमान किरायों के संबंध में सूचना के लिए आरटीआई आवेदन दायर किया था और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जवाब दिया था कि सरकार द्वारा इनका नियंत्रण नहीं होता है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने अधिवक्ता अमित साहनी द्वारा दायर इस याचिका का निपटारा किया, जिसमें अधिकारियों को दिशा-निर्देश तय करने का निर्देश देने की मांग की गई ताकि विमान किरायों को सीमित किया जा सके और निजी विमानन कंपनियों को मनमाने तरीके से उड़ानों के लिए पैसा लेने से रोका जा सके।
पीठ ने मंत्रालय से कानून के अनुसार आदेश पारित करने को कहा और उसे निर्देश दिया कि इस संबंध में किसी भी फैसले के बारे में याचिकाकर्ता को जानकारी दी जाए।
अधिवक्ता अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने विमान किरायों के संबंध में सूचना के लिए आरटीआई आवेदन दायर किया था और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जवाब दिया था कि सरकार द्वारा इनका नियंत्रण नहीं होता है।
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