दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सतलज-यमुना लिंक (SYL) मामले में दिल्ली सरकार द्वारा पुराने हलफनामें को वापस लेने और नया हलफनामा देने पर विवाद छिड़ गिया है। इस पर पहले हलफनामा दाखिल कर हरियाणा का समर्थन करने वाले वकील रमेश चंद्र त्रिपाठी ने एतराज़ जताया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह दिल्ली और हरियाणा का आपसी मसला है और इसे कोर्ट के बाहर ही सुलझाया जाए। अदालत ने कहा कि अगर कोर्ट के बाहर मामला नहीं निपटा तो फिर फैसला उनके द्वारा किया जाएगा।
बिना निर्देश के हलफनामा
दरअसल इस मामले में पहले लिखित जवाब दाखिल कर दिल्ली सरकार ने हरियाणा का समर्थन करते हुए पंजाब सरकार के कदम को खतरनाक बताया था। लेकिन बाद में दिल्ली सरकार ने अपने वकील को यह कहते हुए हटा दिया कि बिना निर्देश के हलफनामा दाखिल किया गया है। इसके बाद सरकार ने कोर्ट की इजाजत लेकर दूसरा हलफनामा दाखिल किया है। गौरतलब है कि चुनावी भाषण में अरविंद केजरीवाल ने पंजाब का समर्थन किया था। पंजाब सरकार की ओर से मामले में बहस जारी है।
बता दें कि पंजाब-हरियाणा के बीच रावी-ब्यास नदियों के अतिरिक्त पानी को साझा करने का समझौता करीब साठ साल पुराना है। हरियाणा राज्य बनने के बाद 1976 में केंद्र ने पंजाब और हरियाणा दोनों के बीच 3.5 मिलियन एकड़ फ़ीट (एमएएफ़) पानी साझा करने का आदेश दिया था। इस अतिरिक्त पानी को भेजने के लिए सतलज यमुना लिंक नहर पर काम शुरू हुआ जो हरियाणा की तरफ से पूरा हो गया था लेकिन लेकिन बाद में पंजाब ने अपनी तरफ से काम रोक दिया। हरियाणा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गया था जिसको लेकर अभी भी स्थिति पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है।
बिना निर्देश के हलफनामा
दरअसल इस मामले में पहले लिखित जवाब दाखिल कर दिल्ली सरकार ने हरियाणा का समर्थन करते हुए पंजाब सरकार के कदम को खतरनाक बताया था। लेकिन बाद में दिल्ली सरकार ने अपने वकील को यह कहते हुए हटा दिया कि बिना निर्देश के हलफनामा दाखिल किया गया है। इसके बाद सरकार ने कोर्ट की इजाजत लेकर दूसरा हलफनामा दाखिल किया है। गौरतलब है कि चुनावी भाषण में अरविंद केजरीवाल ने पंजाब का समर्थन किया था। पंजाब सरकार की ओर से मामले में बहस जारी है।
बता दें कि पंजाब-हरियाणा के बीच रावी-ब्यास नदियों के अतिरिक्त पानी को साझा करने का समझौता करीब साठ साल पुराना है। हरियाणा राज्य बनने के बाद 1976 में केंद्र ने पंजाब और हरियाणा दोनों के बीच 3.5 मिलियन एकड़ फ़ीट (एमएएफ़) पानी साझा करने का आदेश दिया था। इस अतिरिक्त पानी को भेजने के लिए सतलज यमुना लिंक नहर पर काम शुरू हुआ जो हरियाणा की तरफ से पूरा हो गया था लेकिन लेकिन बाद में पंजाब ने अपनी तरफ से काम रोक दिया। हरियाणा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गया था जिसको लेकर अभी भी स्थिति पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है।
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