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कई महीनों के लिए जेल जा चुका है अल-फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर, आतंकी मॉड्यूल जांच के बीच बड़ा खुलासा

Al-Falah University Founder Case: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें बताया गया है कि वो आपराधिक मामले में जेल जा चुका है.

कई महीनों के लिए जेल जा चुका है अल-फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर, आतंकी मॉड्यूल जांच के बीच बड़ा खुलासा
Delhi Blast: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर को हुई थी जेल

Delhi Blast Case: दिल्ली ब्लास्ट मामले के तार सीधे फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ रहे हैं. ये वही यूनिवर्सिटी है, जहां से आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था.  अल-फलाह यूनिवर्सिटी से पकड़े गए डॉक्टरों से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुए थे, साथ ही यहां काम करने वाले एक डॉक्टर उमर मोहम्मद ने ही दिल्ली आकर कार ब्लास्ट किया. अब इस यूनिवर्सिटी को जांच के दायरे में रखा गया है. इसी बीच इस यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद सिद्दीकी को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. जिसमें बताया गया है कि सिद्दीकी 37 महीने जेल में रह चुका है.  

नौ कंपनियों का मामला

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी, मैनेजिंग ट्रस्टी और संस्थापक का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड है.
ये मामला जावेद सिद्दीकी की 9 कंपनियों से जुड़ा है, ये कंपनियां शिक्षा, सॉफ्टवेयर, निवेश और ऊर्जा क्षेत्रों से थीं. जावेद के खिलाफ मनी स्कीम घोटाले का केस दर्ज हुआ था. ये FIR दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई थी. 

जावेद सिद्दीकी पर आरोप है कि उसने निवेश योजनाओं के नाम पर लोगों से पैसा लिया. उसकी कई कंपनियां कागजों पर ही थीं. साथ ही पैसे व्यक्तिगत खातों में ट्रांसफर किए गए. Al-Falah Group चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी और डायरेक्टर सऊद अहमद सिद्दीकी 7.5 करोड़ के फ्रॉड मामले में कई महीने तक जेल में रहे.

यूनिवर्सिटी को जारी हुआ था नोटिस

इससे पहले अल-फलाह यूनिवर्सिटी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था. नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) ने यूनिवर्सिटी को फर्जी एक्रेडिटेशन क्लेम के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया. इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी यूनिवर्सिटी की फंडिंग को लेकर जांच करेगी. नोटिस में कई सवाल पूछे गए हैं, जिनका यूनिवर्सिटी को 7 दिनों में जवाब देना होगा. तब तक वेबसाइट से एनएएसी का जिक्र हटाना अनिवार्य है. नोटिस के बाद यूनिवर्सिटी की वेबसाइट डाउन हो गई.

यूनिवर्सिटी ने दी थी सफाई

दिल्ली ब्लास्ट में इस यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों का नाम आने के बाद से ही ये विवादों में है. इसके बाद यूनिवर्सिटी ने अपनी तरफ से आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि हमारा इस ब्लास्ट से कोई लेना-देना नहीं है. जिस तरह से इस ब्लास्ट के बाद हमारी यूनिवर्सिटी का नाम लिया जा रहा है, उससे इसकी गरिमा को ठेस पहुंच रही है. हमारे संज्ञान में यह भी आया है कि कई सोशल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हमारी यूनिवर्सिटी के संबंध में मनगढ़ंत और झूठे बयान जारी किए जा रहे हैं, जिनमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है.

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