मोदीनगर:
गाजियाबाद के करीब मोदीनगर में खंजरपुर के गन्ना किसान सोनू ने 20 बीघे में दो लाख रुपये खर्च कर गन्ना बोया। पिछले साल भी बुआई पर करीब इतना ही खर्च आया था। लेकिन इतनी पूंजी लगाने पर भी बकाया पैसा नहीं मिला है।
सोनू कहते हैं, 'चीनी मिलों के पास पिछले साल का एक लाख बकाया है और इस साल का 4 लाख नहीं मिला, पांच लाख चीनी मिलों के पास हमारा बकाया है। पेमेंट में देरी की वजह जानने मैं मोदीनगर की सबसे बड़ी चीनी मिल पहुंचा तो वहां कोई बात करने को तैयार नहीं था। सबको सवाल मालूम है- किसानों का पैसा कब देंगे?
दरअसल देश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 19000 करोड़ से ज़्यादा बकाया है। सिर्फ यूपी में चीनी मिलों का 9000 करोड़ से ज़्यादा की रकम बकाया है। ऐसे में चीनी मिल मालिकों के लिए जवाब देना मुश्किल होता जा रहा है।
इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन के महानिदेशक अविनाश वर्मा कहते हैं, 'चीनी उद्योग में अब फायदा नहीं रहा। अगर सरकार मदद करे तभी हालात सुधरेंगे। अगर सरकार 25 लाख टन चीनी हमसे खरीदे तो चीनी मिल मालिकों के पास 7000 करोड़ का कैश-फ्लो होगा और हम किसानों के पेमेंट कर सकेंगे।
शुगर इंडस्ट्री unviable हो चुकी है।' उधर दिल्ली में गन्ना किसानों की बकाया राशि के मसले पर खाद्य मंत्री की बड़े गन्ना-उत्पादक राज्यों के साथ गुरुवार की बैठक बेनतीजा रही। बैठक के बाद पासवान ने कहा, 'गन्ना किसानों की बकाया राशि के मसले पर राज्यों के पास संतोषजनक जवाब नहीं था। हम चाहते हैं कि किसानों को उनकी बकाया राशि मिले और मिल भी बंद ना हों।'
पर सबसे बड़ा सवाल है कि हर तरफ से मार झेल रहे किसानों का बकाया नहीं मिलने का जिम्मेदार कौन है।
सोनू कहते हैं, 'चीनी मिलों के पास पिछले साल का एक लाख बकाया है और इस साल का 4 लाख नहीं मिला, पांच लाख चीनी मिलों के पास हमारा बकाया है। पेमेंट में देरी की वजह जानने मैं मोदीनगर की सबसे बड़ी चीनी मिल पहुंचा तो वहां कोई बात करने को तैयार नहीं था। सबको सवाल मालूम है- किसानों का पैसा कब देंगे?
दरअसल देश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 19000 करोड़ से ज़्यादा बकाया है। सिर्फ यूपी में चीनी मिलों का 9000 करोड़ से ज़्यादा की रकम बकाया है। ऐसे में चीनी मिल मालिकों के लिए जवाब देना मुश्किल होता जा रहा है।
इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन के महानिदेशक अविनाश वर्मा कहते हैं, 'चीनी उद्योग में अब फायदा नहीं रहा। अगर सरकार मदद करे तभी हालात सुधरेंगे। अगर सरकार 25 लाख टन चीनी हमसे खरीदे तो चीनी मिल मालिकों के पास 7000 करोड़ का कैश-फ्लो होगा और हम किसानों के पेमेंट कर सकेंगे।
शुगर इंडस्ट्री unviable हो चुकी है।' उधर दिल्ली में गन्ना किसानों की बकाया राशि के मसले पर खाद्य मंत्री की बड़े गन्ना-उत्पादक राज्यों के साथ गुरुवार की बैठक बेनतीजा रही। बैठक के बाद पासवान ने कहा, 'गन्ना किसानों की बकाया राशि के मसले पर राज्यों के पास संतोषजनक जवाब नहीं था। हम चाहते हैं कि किसानों को उनकी बकाया राशि मिले और मिल भी बंद ना हों।'
पर सबसे बड़ा सवाल है कि हर तरफ से मार झेल रहे किसानों का बकाया नहीं मिलने का जिम्मेदार कौन है।
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