भारत में कोरोना वायरस से जारी जंग का आज 12वां दिन है. पूरी दुनिया में इस महामारी से लड़ाई जारी है और सभी अपने-अपने तरीके से लड़ाई लड़ रहे हैं. भारत की लिहाज से देखें तो करीब आज सुबह 9:30 बजे आएं आंकड़े कहते हैं कि 24 घंटे में 32 लोगों की मौत हुई है और 693 नए मामले सामने आए हैं. कुल मरीजों की संख्या हुई 4000 से पार हो चुकी है और अब तक इस बीमारी से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अगर हम कोरोना वायरस के संक्रमण के रफ्तार की बात करें तो ऐसा लग रहा है कि इस बीमारी की चाल लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अब तक 292 ऐसे लोग भी हैं जो इस बीमारी से उबर चुके हैं. वहीं अगर पूरी दुनिया के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो यह बीमारी अब तक 183 देशों में फैल चुकी है. कुल 12,75,144 लोग बीमार हैं, 69,487 की जान जा चुकी है, 9,45,137 लोगों का उपचार चल रहा है. 2,60,520 लोग ठीक हो चुके हैं.
इटली में 15 हजार से ज्यादा, स्पेन में 12 हजार से ज्यादा, अमेरिका में आठ हजार से ज्यादा, फ्रांस में 7 हजार से ज्यादा, और ब्रिटेन में 4 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी को लेकर अब तक हुए अध्ययन में बात सामने आई है कि मृत्यु का दर 0.0016 से 7.8 प्रतिशत के बीच है और यह मरीज की उम्र पर भी निर्भर करता है. चीन में हुई मौतों के आंकड़े में पाया गया है कि यहां 80 साल से ऊपर वालों के लिए यह दर आठ से 36 प्रतिशत के बीच है. लेकिन यह मृत्यु दर देशों के हिसाब से अलग-अलग भी है. इटली में मृत्यु दर सबसे ज्यादा (12 फीसदी से अधिक) है. इटली की आबादी में बुजुर्ग बड़ी संख्या में हैं.
बात भारत के लिहाज से करें तो 30 मार्च को 11: 30 बजे के करीब कुल मरीजों की संख्या 1071 थी और 29 लोगों की जान गई थी. वहीं आज आए आंकड़ों से तुलना करें तो बीते 7 दिन में मरीजों की संख्या करीब 3000 बढ़ गई है. वहीं 30 मार्च तक 29 लोगों की मौत हुई थी और इस लिहाज से अब मरने वालों की संख्या में 80 की बढ़ोत्तरी हुई है. मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी में एक बड़ा हिस्सा तबलीगी जमात में शामिल होने वाले लोगों का भी माना जा रहा है.
सरकार का कहना है कि भारत में संक्रमित मामलों के दोगुना होने की दर 4.1 दिन तक पहुंच गई है और इसके पीछे तबलीगी जमात का बड़ा हाथ है. स्वास्थ्य मंत्रालय की रोजाना होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि अगर निजामुद्दीन मरकज वाला मामला न होता तो यह दर 7.4 दिन होती. लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने की दर किस समय तक आकर थमने की उम्मीद है इस पर अभी सरकार के पास कोई ठोस जवाब नहीं है.
लॉकडाउन के बाद कई जगहों पर अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सुरक्षा किट की कमी की भी शिकायत की है और कई राज्यों में वेंटिलेटर की भी कमी की बात सामने आई है. हालांकि सरकार निजी संस्थाओं के साथ मिलकर इन कमियों के साथ मिलकर इस पर तेजी से काम कर ही है. वहीं इस बीमारी के संक्रमितों की जल्द जांच कराने के उपायों पर भी चर्चा है. सरकार का कहना है कि उसकी ओर से इस पर कई तरीकें अपनाएं जा रहे हैं.
लॉकडाउन से गरीब तबका, दिहाड़ी मजदूर और कामगार सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. बीते 26 मार्च को वित्त मंत्रालय ने ऐलान किया कि अगले 3 महीने तक हर ज़रूरतमंद को 5 किलो चावल या गेहूं और एक किलो दाल मुफ्त में दिया जाएगा. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी भी राज्य ने केंद्र की ओर से मिले अपने हिस्से का अनाज नहीं उठाया है. दूसरी ओर खबर है कि केंद्र सरकार मदद के लिए एक दूसरे आर्थिक पैकेज की भी तैयारी कर रही है. वहीं सवाल इस बात का भी उठ रहा है कि क्या 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म हो जाएगा? इस सवाल को इस बात से भी बल मिला है क्योंकि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधायकों और सांसदों से लॉकडाउन के बाद भीड़ न इकट्ठा होने पाए इस पर सलाह मांगी है.
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