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This Article is From Apr 16, 2020

Coronavirus से युद्ध तब तक नहीं जीत सकते जब तक कि लोगों का सहयोग ना मिले : सुप्रीम कोर्ट

Lockdown: सुप्रीम कोर्ट ने महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के मानदंडों को सख्ती से लागू करने का समर्थन किया

Coronavirus से युद्ध तब तक नहीं जीत सकते जब तक कि लोगों का सहयोग ना मिले : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

Coronavirus Lockdown: COVID -19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के मानदंडों को सख्ती से लागू करने का समर्थन करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध तब तक नहीं जीता जा सकता जब तक कि लोगों का सहयोग ना मिले. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी टिप्पणी की कि चिकन या मटन खत्म हो गया है तो बाहर निकेलेंगे क्या? कुछ तो इंतजार करना होगा.

कई राज्यों में लॉकडाउन के दौरान बल का प्रयोग करने के लिए पुलिस के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कहा कि संबंधित उच्च न्यायालय और मानवाधिकार निकायों ने कथित उपयोग के मामलों का संज्ञान लिया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के पास कोई कारण नहीं है कि इस मामले को उठाए.

हालांकि पीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारी लॉकडाउन आदेश को लागू करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और नागरिकों के सहयोग के बिना वे सफल नहीं होंगे. नागरिकों को सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करना चाहिए और अपने परिवार और समुदाय के लाभ के लिए घर के अंदर रहना चाहिए.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ न्यूनतम बल का उपयोग करके वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन के प्रभावी प्रवर्तन के लिए राज्य सरकारों और पुलिस को प्रासंगिक दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.

गुवाहाटी के एक वकील अमित गोयल ने अदालत से अनुरोध किया था कि वे लॉकडाउन के दौरान बाहर निकलने वाले लोगों की पिटाई से पुलिस को प्रतिबंधित करें. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जनता की आवाजाही पर स्पष्ट दिशानिर्देशों की कमी के कारण कुछ क्षेत्रों में अनिश्चितता और अराजकता पैदा हो गई है जहां आवश्यक वस्तुएं कम आपूर्ति में हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस कुछ श्रेणियों के पेशेवरों को दी गई छूट के बारे में अनभिज्ञ है, जिन्हें पुलिस ने पीटा भी है. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान जनता की आवाजाही के लिए एक समान दिशानिर्देश की मांग की थी.

दिल्ली के एक वकील विशाल तिवारी ने भी एक जनहित याचिका दायर की थी ताकि राजस्थान, हरियाणा, यूपी, गुजरात और तेलंगाना में बंद के दौरान कई मौकों पर जनता के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के लिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने के लिए केंद्र और राज्यों को निर्देश दिए जा सकें.

पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों पर संबंधित उच्च न्यायालयों और मानव अधिकार आयोगों द्वारा पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है. उपरोक्त परिस्थितियों में सामान्य आदेशों या निर्देशों को पारित करना उचित नहीं होगा. याचिकाओं को खारिज करते हुए, पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि यदि लॉकडाउन अवधि के दौरान पुलिस ज्यादतियों के मामले आते हैं तो वे संबंधित हाईकोर्ट या फोरम में जा सकते हैं.

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