Coronavirus Pandemic: ऐसे समय जब देश में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 13 हजार के पार पहुंच चुकी है, पिछले माह 19 मार्च को दुबई से उड़ान भरकर केरल (Kerala) के कन्नूर पहुंचे एक व्यक्ति को 28 दिन के लिए घर में क्वारंटाइन किया गया था. हालांकि उस समय इस शख्स में नोवल कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण नजर नहीं आए थे. 26 दिन बाद यानी 14 अप्रैल को उसका टेस्ट किया गया, इस समय भी इसमें कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं थे हालांकि राज्य सरकार ने अपनी ओर से पूरी ऐहतियात बरतते हुए इसकी ट्रेवल हिस्ट्री को देखते हुए इस यात्री को 'हाई रिस्क' वाली श्रेणी में रखा. दो दिन बाद इस शख्स को COVID-19 पॉजिटिव पाया गया. इसी तरह 20 मार्च को दो अन्य दो व्यक्ति दुबई से कन्नूर लौटे और और दोनों को क्वारंटाइन किया गया, इन दोनों शख्सों में भी कोरोना के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे थे. पहले वाले शख्स के साथ इन दोनों व्यक्ति के भी 14 अप्रैल को सैंपल लिए गए और इन्हें भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया.
कन्नूर के जिला चिकित्सा अधिकारी के अनुसार, विदेश से लौटे 248 लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया, इसमें से 17 को पॉजिटिव पाया गया. इन 17 मामलों में से करीब 95 फीसदी में उस समय कोरोना वायरस वाले कोई लक्षण नजर नहीं आए थे. मेडिकल ऑफिसर के नारायण नाइक ने NDTV को बताया, "हाई रिस्क केटेगरी से आए लोगों के टेस्ट में कोरोना के लक्षण नजर नहीं आने के बावजूद हम उन्हें 28 दिन के लिए आइसोलेशन में यानी अलग-थलग रख रहे हैं. इस चिंता करने की कोई बात नहीं है, यह ऐहतियात के तौर पर किया जा रहा है और इनकी स्थिति को लगातार फॉलो किया जा रहा है. हालांकि, देश के अधिकांश हिस्सों में कहानी थोड़ी अलग है जहां कोविड-19 के टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद भी लक्षण नजर नहीं आने पर 14 दिन के लिए ही क्वारंटाइन किया जा रहा है. डॉ मोहम्मद असील ने एनडीटीवी को बताया, 'चीन के वुहान में एक ऐसा मामला आया था जहां 27वें दिन कोरोना वायरस के लक्षण नजर आए थे. कम से कम पांच फीसदी मामले में भी यह अवधि 14 दिन की होती है. केरल में कोरोना के मामलों में बाद आई कमी के पीछे हमारी यह रणनीति काम आई है.'डॉ. असील एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं और दक्षिणी राज्य में COVID-19 के रोकथाम उपायों में शामिल कोर टीम के सदस्य हैं
विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार, लगभग 95 प्रतिशत लोगों में 0 से 14 दिनों (या पांच दिनों का मध्यकाल) के बीच कोरोना वायरस के लक्षण विकसित करते हैं. शेष पांच प्रतिशत मामलों में 24 दिनों के बाद और कई बार एक महीने में भी रोगसूचक लक्षण दिखते हैं. हालांकि यह पांच प्रतिशत संख्या के तौर पर बेहद कम नजर आता है लेकिन इसके कारण भी संक्रामक विषाणु के प्रसार और कोरोना की तीव्रता बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. डॉ असील ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण सबक जो हमें सीखने की जरूरत है वह यह कि 14 दिन की अवधि में कोरोना के लक्षण नहीं दिखने वाले लोग भी वायरस को फैला सकते हैं. केरल वह राज्य है जहां भारत के पहले तीन कोरोना वायरस के केस सामने आए थे. यहां अभी कोरोना की संख्या 395 के आसपास तक ही पहुंच पाई है. यह बात भी गौर करने लायक है कि राज्य में केवल तीन लोगों को कोरोना वायरस के कारण जान गंवानी पड़ी है जबकि महाराष्ट्र में 194, मध्य प्रदेश में 53 और दिल्ली और गुजरात में 30-30 लोगों को इस वायरस के कारण जान गंवानी पड़ी है. केरल में कोरोना के 245 मरीजों को इलाज में ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है. केवल महाराष्ट्र (यहां 3000 से अधिक कोरोना के केस हैं) में ही इससे ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं.
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