ओडिशा में भीषण रेल हादसे पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछे ये सवाल

ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम को कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से हुए रेल हादसे में 288 यात्रियों की मौत हो गई और 1,100 घायल हो गए. अब इस रेल हादसे पर कांग्रेस सरकार से सवाल पूछ रही है.

रेल इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटनाओं में से ओडिशा रेल दुर्घटना में कम से कम 288 यात्रियों की मौत हो गई और 1,100 से अधिक यात्री घायल हो गए. अब इस भीषण रेल हादसे को लेकर कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को घेरा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आज़ाद भारत के शायद सबसे दर्दनाक रेल हादसे पर सरकार से सवाल है. विज्ञापनी PR हथकंडो ने सरकार के काम करने की प्रणाली को ख़ोखला बना दिया है. ये सवाल है कि रेलवे में 3 लाख़ पद खाली हैं, बड़े अधिकारियों के पद भी खाली हैं, जो PMO भर्ती करता है, उनको 9 सालों में क्यों नहीं भरा गया?

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि 10-12 चमकती दमकती रेल दिखाने के चक्कर में पूरा ढांचा चरमराता जा रहा है. पवन खेड़ा ने साथ ही कहा कि इस्तीफे का मतलब होता है नैतिक ज़िम्मेदारी लेना, लेकिन यहां नैतिकता बची नहीं तो किससे इस्तीफ़ा मांगे. सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि ट्रैक मेंटेनेंस का बजट लगातार कम होता गया है. रेल की रिपोर्ट बताती है कि 3 लाख 12 हज़ार पद रिक्त हैं. प्राण जाए पर PR न जाए, सरकार को ये नीति छोड़नी पड़ेगी. क्या रेलमंत्री से इस्तीफ़ा लेंगे? क्या CAG और स्टैंडिंग की रिपोर्ट का संज्ञान लेंगे? हमारे ये तीन सवाल हैं जिनका हम जवाब चाहते हैं.

'रेलवे की पैसेंजर सेफ्टी के लिए एक कमीशन होना चाहिए'
वहीं शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि पीएम ने कहा कि जो ज़िम्मेदार होगा उसे छोड़ेंगे नहीं. इस मामले में सीधे-सीधे ज़िम्मेदार सरकार है. इस हादसे में जिनकी मौत हुई उन्हें श्रद्धांजलि. भारतीय रेल का इतिहास बहुत पुराना है. शुरू में हमारी रेलवे प्राइवेट हाथों में थी. रेलवे की पैसेंजर सेफ्टी के लिए एक कमीशन होना चाहिए. ये कमीशन रेलवे के अधीन नहीं उसे नागर विमानन के अधीन रखा. इस हादसे में कसूरवार सरकार है.

रेल मंत्रालय ने किया नियमों में संशोधन- शक्ति सिंह गोहिल
उन्होंने कहा कि रेलवे को संसदीय रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2018 में, रेल मंत्रालय ने रेल संरक्षा आयोग की राय पर विचार किए बिना खोलने के नियमों में संशोधन किया है. महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक था आयुक्तों को भारतीय रेल आयामों की अनुसूची के उल्लंघन को माफ करने की शक्ति प्रदान करना. पहले यह शक्ति सी. आर. एस. और सी. सी. आर. एस. की सिफारिश के साथ रेल मंत्रालय के पास निहित थी.

पुरानी व्यवस्था को बहाल किया जाए- कांग्रेस
गोहिल ने कहा कि इस संशोधन के संरक्षा निहितार्थ रेल मंत्रालय को भी बताए गए थे. आयोग का अभी भी यह मत हैं कि यह संशोधन सुरक्षा के हित में नहीं है और सुरक्षा को समीचीनता पर वरीयता दी जानी चाहिए. इसलिए पुरानी व्यवस्था को बहाल किया जाना चाहिए. सरकार का फर्ज बनता है वैकल्पिक व्यवस्था करे और सुविधा दे. हम भी मांग करते हैं कि तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करे, जो रेलवे से जाने वाले थे नहीं जा रहे हैं उनके लिए व्यवस्था करे. अपने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से अपील करते हैं जो बन सकता है मदद करे.

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