नई दिल्ली:
कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर आई सीएजी की रिपोर्ट के बाद केंद्र को कठघरे में खड़ा कर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग पर अड़ी बीजेपी द्वारा संसद में बहस की पेशकश को ठुकरा दिए जाने पर सरकार ने प्रमुख विपक्षी दल पर पलटवार करते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि बीजेपी जान-बूझकर इस मुद्दे पर बहस नहीं करना चाहती, क्योंकि इससे उसकी पोल खुल जाएगी।
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर संसद में बहस की पेशकश करते हुए आश्वासन दिया था कि वह विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन बीजेपी इस मुद्दे पर बहस से डरती है, क्योंकि उन्हीं के द्वारा शासित राज्यों की सरकारों ने ही दरअसल, नीलामी नहीं होने दी थी।
उधर, इस मुद्दे पर संसद में आज भी हंगामा जारी रहा। हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा को स्थगित कर दिया गया।
बीजेपी का कहना है कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार ने भरोसा खो दिया है इसलिए प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। मंगलवार को भी इस मुद्दे पर हंगामे के चलते दोनों सदनों को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया था।
भाजपा के नेता अरुण जेटली ने एक समाचार चैनल से कहा, प्रधानमंत्री को इस मामले में अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। आठ में से पांच साल में केवल 142 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए। इसका अर्थ यह है कि राजस्व को नुकसान हुआ, जबकि निजी पक्षों को फायदा हुआ। कोयला मंत्रालय का प्रभार स्वयं उनके पास था।
जेटली ने कहा, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में संबंधित मंत्री ने इस्तीफा दिया, जबकि अन्य ने अपनी जिम्मेदारियों से बच निकलने की कोशिश की। यह ऐसा मामला है जिसमें कोयला मंत्रालय का प्रभार स्वयं प्रधानमंत्री के पास था और सरकार इस पर चर्चा कराने के लिए तैयार होने की बात कह रही है। लेकिन इस पर आपको चर्चा की आवश्यकता क्या है?
भाजपा नेता ने कहा, दिसम्बर 2010 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यदि हमने दबाव नहीं बनाया होता तो ए राजा (तत्कालीन केंद्रीय संचार मंत्री) ने इस्तीफा नहीं दिया होता.. संसद में हमारे दबाव ने 2जी घोटाले में काम किया और हमें उम्मीद है कि यह अब भी काम करेगा।
वहीं, भाजपा नेता बलबीर पुंज ने कहा, इस मामले में प्रधानमंत्री मुख्य आरोपी हैं। हम इस मुद्दे पर तब तक चर्चा के लिए कैसे तैयार हो सकते हैं, जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देते। हम उनके इस्तीफे के बाद ही चर्चा के लिए तैयार हैं।
पिछले सप्ताह सामने आई सीएजी की रपट में कहा गया है कि निजी कंपनियों को कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरते जाने के कारण सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
रपट में प्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय को दोषी नहीं ठहराया गया है, लेकिन जुलाई 2004 से मई 2009 की अवधि में, जब इन खनन ब्लॉक्स का आवंटन किया गया था, उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास था।
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर संसद में बहस की पेशकश करते हुए आश्वासन दिया था कि वह विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन बीजेपी इस मुद्दे पर बहस से डरती है, क्योंकि उन्हीं के द्वारा शासित राज्यों की सरकारों ने ही दरअसल, नीलामी नहीं होने दी थी।
उधर, इस मुद्दे पर संसद में आज भी हंगामा जारी रहा। हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा को स्थगित कर दिया गया।
बीजेपी का कहना है कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार ने भरोसा खो दिया है इसलिए प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। मंगलवार को भी इस मुद्दे पर हंगामे के चलते दोनों सदनों को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया था।
भाजपा के नेता अरुण जेटली ने एक समाचार चैनल से कहा, प्रधानमंत्री को इस मामले में अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। आठ में से पांच साल में केवल 142 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए। इसका अर्थ यह है कि राजस्व को नुकसान हुआ, जबकि निजी पक्षों को फायदा हुआ। कोयला मंत्रालय का प्रभार स्वयं उनके पास था।
जेटली ने कहा, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में संबंधित मंत्री ने इस्तीफा दिया, जबकि अन्य ने अपनी जिम्मेदारियों से बच निकलने की कोशिश की। यह ऐसा मामला है जिसमें कोयला मंत्रालय का प्रभार स्वयं प्रधानमंत्री के पास था और सरकार इस पर चर्चा कराने के लिए तैयार होने की बात कह रही है। लेकिन इस पर आपको चर्चा की आवश्यकता क्या है?
भाजपा नेता ने कहा, दिसम्बर 2010 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यदि हमने दबाव नहीं बनाया होता तो ए राजा (तत्कालीन केंद्रीय संचार मंत्री) ने इस्तीफा नहीं दिया होता.. संसद में हमारे दबाव ने 2जी घोटाले में काम किया और हमें उम्मीद है कि यह अब भी काम करेगा।
वहीं, भाजपा नेता बलबीर पुंज ने कहा, इस मामले में प्रधानमंत्री मुख्य आरोपी हैं। हम इस मुद्दे पर तब तक चर्चा के लिए कैसे तैयार हो सकते हैं, जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देते। हम उनके इस्तीफे के बाद ही चर्चा के लिए तैयार हैं।
पिछले सप्ताह सामने आई सीएजी की रपट में कहा गया है कि निजी कंपनियों को कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरते जाने के कारण सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
रपट में प्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय को दोषी नहीं ठहराया गया है, लेकिन जुलाई 2004 से मई 2009 की अवधि में, जब इन खनन ब्लॉक्स का आवंटन किया गया था, उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास था।
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