सीबीआई चीफ आलोक वर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सेलेक्ट कमेटी फैसला करेगी कि उन्हें पद से हटाया जाए या नहीं. सेलेक्ट कमेटी की इस बैठक में अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई शामिल नहीं होंगे. बता दें कि सेलेक्ट कमेटी में सीजेआई, प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष को होना था. लेकिन सीजेआई रंजन गोगोई ने खुद को सेलेक्ट कमेटी की बैठक से अलग कर लिया. उन्होंने इस हाईपावर कमेटी की बैठक के लिए जस्टिस एके सीकरी को नामांकित किया है. सेलेक्ट कमेटी की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खगडे के साथ होगी. यह कमेटी ही आलोक वर्मा का भविष्य तय करेगी. इस कमेटी को एक सप्ताह के भीतर तय करना है कि आलोक वर्मा सीबीआई प्रमुख के पद पर रहेंगे या नहीं.
बताया जा रहा है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ही आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई कर फैसला दिया है, इसलिए उन्होंने सेलेक्ट कमेटी की बैठक से अलग करके खुद बैठक में नहीं जा रहे हैं. इसी के चलते उन्होंने वरिष्ठता में दूसरे नंबर के जज एके सीकरी को इस बैठक के लिए चुना है.
बता दें कि इससे पहले आज यानी बुधवार की सुबह सीबीआई चीफ आलोक वर्मा सीबीआई मुख्यालय पहुंचे. आलोक वर्मा ने आज यानी बुधवार को दोबारा सीबीआई दफ्तर जाकर निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला, जहां अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने उन्हें रिसीव किया. हालांकि, अगले एक हफ्ते तक वह कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे. बता दें कि 23 अक्टूबर को आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले के बाद 10वीं मंजिल पर स्थित उनके दफ्तर को सील कर दिया गया था. उनकी जगह एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया था.
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केंद्र सरकार को मंगलवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने आलोक कुमार वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद पर बहाल कर दिया. न्यायालय ने वर्मा को सीबीआई निदेशक की शक्तियों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का केंद्र सरकार का आदेश रद्द कर दिया. हालांकि, न्यायालय ने वर्मा के पर कतरते हुए साफ कर दिया कि बहाली के उपरांत सीबीआई प्रमुख का चयन करने वाली उच्चाधिकार समिति के उनकी शक्तियां छीनने के मुद्दे पर विचार करने तक वह कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला करने से परहेज करेंगे. वर्मा का सीबीआई निदेशक के तौर पर दो वर्ष का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है.
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बहरहाल, वर्मा को शक्तियों और अधिकारों से वंचित करने की तलवार अब भी उनके सिर पर लटकी हुई है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि सीबीआई प्रमुख का चयन करने वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति अब भी वर्मा से जुड़े मामले पर विचार कर सकती है, क्योंकि सीवीसी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है. चयन समिति को एक हफ्ते के भीतर बैठक बुलाने को कहा गया है. न्यायालय ने कहा कि कानून में अंतरिम निलंबन या सीबीआई निदेशक को हटाने के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है. शीर्ष अदालत ने साफ कर दिया कि इस तरह का कोई भी फैसला चयन सहमति की सहमति लेने के बाद ही किया जा सकता है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने 44 पेज के फैसले में वर्मा को उनकी शक्तियों से वंचित करने और संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाए जाने संबंधी सीवीसी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों को निरस्त कर दिया.
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पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हम यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि सीबीआई निदेशक वर्मा अपने पद पर बहाल होने पर समिति से ऐसी कार्रवाई या निर्णय लेने की अनुमति मिलने तक कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला नहीं करेंगे और ऐसा करने से बचेंगे. यह फैसला प्रधान न्यायाधीश ने लिखा, लेकिन चूंकि आज वह उपस्थित नहीं थे इसलिए न्यायमूर्ति कौल ने यह निर्णय सुनाया. इसके साथ ही न्यायालय ने अपने फैसले में प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष (लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता) की सदस्यता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति को एक सप्ताह के भीतर बैठक करने के लिए भी कहा. उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति के फैसले के आधार पर वर्मा को 19 जनवरी 2017 को दो साल के लिए सीबीआई निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया था.
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