नागरिकता (संशोधन) बिल (Citizenship (Amendment) Bill) को कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही इसे संसद में फिर पेश करने का रास्ता साफ हो गया है. सरकार अब इसे जल्द ही संसद में पेश करने की तैयारी में है. इस बिल को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. बीजेपी के सांसद रवि किशन ने आज कहा कि ''सौ करोड़ हिंदू आबादी है, यह तो वैसे ही हिंदू राष्ट्र है. सौ करोड़ हिंदू रहते हैं यहां. इतने सारे मुसलमान देश हैं, इतने सारे क्रिश्चियन देश हैं. यह 100 करोड़ का हिंदू देश होना अद्भुत बात है. कड़े बिल पास कराने के लिए बीजेपी जानी जाती है. जो लग रहे थे इम्पॉसिबल बिल हैं, वो भी पास हो रहे हैं, यह अच्छी बात है.''
बीजेपी सांसदों का रुख बता रहा है कि उनकी कल्पना में हिंदू राष्ट्र का खयाल अब भी सबसे ऊपर है. दूसरी तरफ विपक्ष सहित पूर्वोत्तर राज्यों के नेता और संगठन नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध कर रहे हैं.
असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपून बोरा का कहना है कि ''हम बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए सोच रहे हैं. यह बिल असंवैधानिक है. यह आर्टिकल 14 और आर्टिकल 25 का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट ने IMDT Act को एनुअल कर दिया था. हम कोर्ट जाने के लिए विशेषज्ञों की राय लेंगे.''
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नागरिकता संशोधन बिल को कैबिनेट की मंज़ूरी मिलने के साथ ही उसका विरोध और तेज़ हो गया है. कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रही है और पूछ रही है कि एक समुदाय इस बिल से बाहर क्यों है. कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफज़ल ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को बिल के दायरे से बाहर क्यों रखा गया?
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इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर यहां अवैध ढंग से रह रहे लोगों को भी नागरिकता देने का प्रावधान है, बशर्ते वो मुसलमान न हों. यही बात सबको चुभ रही है. महबूबा मुफ्ती के ट्विटर हैंडिल से उनकी बेटी ने ट्वीट किया- 'इंडिया नो कंट्री फॉर मुस्लिम्स.'
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दूसरी तरफ सरकार भरोसा दिलाने में लगी है कि बिल में पूरे देश का खयाल रखा गया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ''बिल में सभी का ध्यान रखा गया है. यह भारत की देखभाल करने वाला है. जब विधेयक पेश किया जाएगा तो आपके पास सभी विवरण होंगे. इसे जल्द से जल्द संसद में लाया जाएगा.''
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लोकसभा में यह बिल एक बार पहले पास हो चुका है. इस बार भी लोकसभा में मुश्किल नहीं होगी. राज्यसभा में असली चुनौती है. जेडीयू को इस बिल पर एतराज है. सरकार के लिए राहत की बात यह है कि बीजेडी बिल का समर्थन कर सकती है.
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कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद अब सरकार इसे जल्दी संसद में पेश करने की तैयारी कर रही है. विपक्ष ने बिल को असंवैधानिक करार दिया है. ऐसे में सरकार के सामने अगली चुनौती बिल को संसद में पारित करने के लिए जरूरी बहुमत जुटाने की होगी.
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