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This Article is From Feb 27, 2013

भारत सरकार श्रीलंका या हममें से एक को चुन ले : डीएमके

भारत सरकार श्रीलंका या हममें से एक को चुन ले : डीएमके
नई दिल्ली: केंद्र में सत्तासीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में कांग्रेस के सबसे बड़े सहयोगी दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने श्रीलंका में तमिलों के विरुद्ध हुए कथित युद्ध अपराधों पर राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान बुधवार को साफ चेतावनी दी कि सरकार यह तय कर ले कि वह श्रीलंका की मित्र बने रहना चाहती है, या दक्षिण भारत में मौजूद अपने मित्रों (डीएमके) के साथ।

डीएमके के राज्यसभा सदस्य तिरुचि शिवा बुधवार को ब्रिटिश मीडिया द्वारा जारी वे तस्वीरें लेकर सदन में आए थे, जिनमें लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) प्रमुख प्रभाकरण के 12-वर्षीय बेटे को हिरासत में ज़िन्दा दिखाया गया है, जबकि बाद में उसकी गोलियों से बिंधी लाश सार्वजनिक की गई थी। आरोप है कि श्रीलंकाई सेना ने जानबूझकर इस बच्चे को जान से मार डाला। डीएमके सदस्य के मुताबिक पार्टी चाहती है कि भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका के खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव का समर्थन करे, और श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे को भारत दौरे की अनुमति नहीं दे।

इसके बाद डीएमके सदस्यों ने वामपंथियों तथा अन्नाद्रमुक सदस्यों के साथ विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा बहस पर दिए गए जवाब को खारिज करने के लिए वॉकआउट कर दिया। उल्लेखनीय है कि बहस का जवाब देते हुए बुधवार को ही खुर्शीद ने कहा था कि श्रीलंका को 'शत्रु राष्ट्र' नहीं पुकारा जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि भले ही हमारे मन में उनके लिए (श्रीलंकाइयों के लिए) गुस्सा हो सकता है, लेकिन हमें उन्हें 'शत्रु राष्ट्र' नहीं कहना चाहिए। खुर्शीद ने यह भी कहा था कि तमिलनाडु के हमारे मित्रों (डीएमके और अन्नाद्रमुक) ने जो चिंता जताई है, वह उसका सम्मान करते हैं, और उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह सिर्फ उनकी (तमिल पार्टियों की) चिंता नहीं है।

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