Coronavirus: भारत में चीन के कोरोना टेस्टिंग किट के आने से पहले ही दुनिया के कुछ देशों से इनके सही नहीं होने की खबरें आने लगी थीं...अब भारत में चीन से जो किट आए हैं उनसे टेस्टिंग रोक दी गई है क्योंकि यहां भी वही हुआ है. लेकिन दिल्ली में चीन के दूतावास की प्रवक्ता ने कहा कि चीन निर्यात किए जाने वाले मेडिकल प्रोडक्ट की गुणवत्ता को बेहद अहमियत देता है. हम आयात करने वाली कंपनी के संपर्क में रहेंगे.
पहले भी चीन कह चुका है कि उनके प्रमाणित कंपनियों से ही ये टेस्ट किट लिए जाने चाहिए. लेकिन इस सबके बाद भी सच्चाई यही है कि एक के बाद एक देश इन रैपिडटेस्ट किट की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं. ब्रिटेन ने तो केस तक कर दिया है.
असल में मार्च के महीने में ही कोरोना से बुरी तरह प्रभावित स्पेन ने 58,000 चीनी टेस्ट किट पर रोक लगा दी जब ये साफ हुआ कि उनकी एक्युरेसी रेट महज 30 फीसद है. ऐसा ही कुछ चेकोस्लोवाकिया, स्लोवाकिया, फिलीपींस, इटली, नीदरलैंड में भी हुआ. कहीं 20 फीसदी, तो कहीं 35 फीसदी सही टेस्ट का सीधा मतलब है कोरोना का और फैलाव. यही वजह है कि नाराज यूके ने 20 मिलियन डॉलर के रिफंड का केस ठोंका हुआ है. दुनिया भर में तय मानकों के मुताबिक टेस्टिंग 80 फीसद सही होना चाहिए तभी इसे कारगर माना जा सकता है.
हालांकि अब भारत साउथ कोरिया से टेस्ट किट आयात करने की शुरुआत कर चुका है और वहां की कंपनी एसडी बायोसेंसर के साथ मिलकर मानेसर में इनका उत्पादन भी शुरू कर चुका है. और टेस्ट किट के आयात के लिए जर्मनी, जापान, कनाडा वगैरह से भी बात हो रही है.
कोरोना से मारे देश भले ही इस वक्त किसी प्रकार टेस्ट किट के इंतजाम कर लें, लेकिन इससे चीन की थू-थू फिर हुई है. खासकर तब जब चीन पूरी कोशिश कर रहा है दुनिया को ये बताने, समझाने की कि कोविड-19 वायरस उसकी किसी गलती का नतीजा नहीं है.
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