नई दिल्ली:
राजधानी में 18 दिन पहले 23 वर्षीय युवती से सामूहिक बलात्कार के मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया। इस मामले में गिरफ्तार पांच आरोपियों के खिलाफ हत्या, बलात्कार, अपहरण और अन्य आरोप लगाए गए हैं।
पैरामेडिकल की छात्रा की 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। इस युवती से 16 दिसंबर को चलती बस सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसकी बर्बरता से पिटाई की गई थी।
आरोप पत्र में इस मामले के आरोपी राम सिंह, उसका भाई मुकेश और साथी पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या, बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक अपराध, डकैती, लूट के लिए मारपीट, साक्ष्य नष्ट करने, आपराधिक साजिश जैसे आरोप लगाए गए हैं।
इस मामले में छठवां आरोपी नाबालिग है और उसके खिलाफ नाबालिग न्याय बोर्ड द्वारा ही कार्यवाही को अंजाम दिया जाएगा।
दिल्ली पुलिस ने इस आरोप पत्र में नाबालिग आरोपी की भूमिका का भी जिक्र किया है।
पुलिस ने कई दस्तावेजों के साथ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सूर्य मलिक ग्रोवर की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। ग्रोवर इस आरोप पत्र पर पांच जनवरी को विचार करेंगे।
दिल्ली पुलिस ने पीड़ित युवती की पहचान गुप्त रखने के इरादे से प्राथमिकी के विवरण का खुलासा नहीं करने और इसे तथा इसके अन्य दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में रखने के बारे में अदालत से निर्देश मांगा है।
पैरामेडिकल की छात्रा की 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। इस युवती से 16 दिसंबर को चलती बस सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसकी बर्बरता से पिटाई की गई थी।
आरोप पत्र में इस मामले के आरोपी राम सिंह, उसका भाई मुकेश और साथी पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या, बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक अपराध, डकैती, लूट के लिए मारपीट, साक्ष्य नष्ट करने, आपराधिक साजिश जैसे आरोप लगाए गए हैं।
इस मामले में छठवां आरोपी नाबालिग है और उसके खिलाफ नाबालिग न्याय बोर्ड द्वारा ही कार्यवाही को अंजाम दिया जाएगा।
दिल्ली पुलिस ने इस आरोप पत्र में नाबालिग आरोपी की भूमिका का भी जिक्र किया है।
पुलिस ने कई दस्तावेजों के साथ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सूर्य मलिक ग्रोवर की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। ग्रोवर इस आरोप पत्र पर पांच जनवरी को विचार करेंगे।
दिल्ली पुलिस ने पीड़ित युवती की पहचान गुप्त रखने के इरादे से प्राथमिकी के विवरण का खुलासा नहीं करने और इसे तथा इसके अन्य दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में रखने के बारे में अदालत से निर्देश मांगा है।
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