पीए मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (फोटो सौजन्य : रायटर)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही अपनी कैबिनेट में फेरबदल कर सकते हैं। इस फेरबदल में बिहार चुनाव में पार्टी के मिली हार का असर दिखाई दे सकता है और साथ ही आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य के नेताओं को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
पीयूष गोयल और नितिन गडकरी का प्रमोशन संभव
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान कैबिनेट में मंत्री पीयूष गौयल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। वे वर्तमान में राज्यमंत्री का दर्जा रखते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि सरकार का प्रस्ताव है कि यातायात से जुड़े तमाम मंत्रालयों को मिलाकर एक ट्रांसपोर्ट मंत्रालय बनाया जा सकता है जिसकी कमाम संयुक्त रूप से नितिन गडकरी के हाथ में रहेगी। इस मंत्रालय में नागरिक उड्डयन, जहाजरानी और परिवहन मंत्रालयों को शामिल किया जा सकता है।
चार बड़े मंत्रालय में कोई बदलाव नहीं
सूत्रों के हवाले से खबर है कि चार बड़े मंत्रालयों के कार्यभार संभाल रहे मंत्रियों के मंत्रालयों में कोई फेरबदल नहीं होगा। इसका मतलब साफ है कि वित्त मंत्रालय का काम अरुण जेटली ही संभालते रहेंगे। रक्षामंत्रालय का काम मनोहर पर्रिकर के जिम्मे ही रहेगा। विदेश मंत्रालय में सुषमा स्वराज का काम जारी रहेगा और गृहमंत्रालय राजनाथ सिंह के हिस्से ही रहेगा। इससे पहले सूत्रों ने उन खबरों का खंडन किया था कि इन बड़े मंत्रालयों में फेरबदल हो सकता है।
बिहार चुनाव हार का असर मंत्रिमंडल फेरबदल पर, यूपी उत्तराखंड को लाभ
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बिहार चुनाव की हार का असर इस मंत्रिमंडल फेरबदल में दिखाई देगा। मंत्रिमंडल में शामिल बिहार के मंत्रियों की संख्या कम की जा सकती है। इसका सीधा लाभ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीजेपी नेताओं को मिलेगा। सूत्रों की मानें तो इन राज्यों में चुनाव होने हैं और राज्य में इसका लाभ मिले इसके लिए इन राज्यों से बीजेपी नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इन दोनों राज्यों के चुनाव को पार्टी 2019 में होने वाले आम चुनाव के प्री-टेस्ट के रूप में देख रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा मंत्री है जिनकी संख्या 13 है और बिहार से 8 मंत्री मोदी कैबिनेट में शामिल हैं।
संगठन से मंत्री बनाए जा सकते हैं कुछ नेता
ऐसा भी कहा जा रहा है कि संगठन से भी कुछ नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है और सूत्र यहां तक बता रहे हैं कि कुछ नेताओं को मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। ये वे मंत्री बताए जा रहे हैं जिनके मंत्रालय की परफॉर्मेंस अच्छी नहीं कही जा रही है।
फरवरी या मई में फेरबदल संंभव
यह सारा फेरबदल संभव है कि बजट सत्र से पहले हो जाए। यानी फरवरी के पहले सप्ताह में ये बदलाव हो। यदि ऐसा संभव नहीं हुआ तो यह फेरबदल बजट सत्र के समाप्त होने के बाद मई में किया जाएगा।
पीयूष गोयल और नितिन गडकरी का प्रमोशन संभव
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान कैबिनेट में मंत्री पीयूष गौयल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। वे वर्तमान में राज्यमंत्री का दर्जा रखते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि सरकार का प्रस्ताव है कि यातायात से जुड़े तमाम मंत्रालयों को मिलाकर एक ट्रांसपोर्ट मंत्रालय बनाया जा सकता है जिसकी कमाम संयुक्त रूप से नितिन गडकरी के हाथ में रहेगी। इस मंत्रालय में नागरिक उड्डयन, जहाजरानी और परिवहन मंत्रालयों को शामिल किया जा सकता है।
चार बड़े मंत्रालय में कोई बदलाव नहीं
सूत्रों के हवाले से खबर है कि चार बड़े मंत्रालयों के कार्यभार संभाल रहे मंत्रियों के मंत्रालयों में कोई फेरबदल नहीं होगा। इसका मतलब साफ है कि वित्त मंत्रालय का काम अरुण जेटली ही संभालते रहेंगे। रक्षामंत्रालय का काम मनोहर पर्रिकर के जिम्मे ही रहेगा। विदेश मंत्रालय में सुषमा स्वराज का काम जारी रहेगा और गृहमंत्रालय राजनाथ सिंह के हिस्से ही रहेगा। इससे पहले सूत्रों ने उन खबरों का खंडन किया था कि इन बड़े मंत्रालयों में फेरबदल हो सकता है।
बिहार चुनाव हार का असर मंत्रिमंडल फेरबदल पर, यूपी उत्तराखंड को लाभ
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बिहार चुनाव की हार का असर इस मंत्रिमंडल फेरबदल में दिखाई देगा। मंत्रिमंडल में शामिल बिहार के मंत्रियों की संख्या कम की जा सकती है। इसका सीधा लाभ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीजेपी नेताओं को मिलेगा। सूत्रों की मानें तो इन राज्यों में चुनाव होने हैं और राज्य में इसका लाभ मिले इसके लिए इन राज्यों से बीजेपी नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इन दोनों राज्यों के चुनाव को पार्टी 2019 में होने वाले आम चुनाव के प्री-टेस्ट के रूप में देख रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा मंत्री है जिनकी संख्या 13 है और बिहार से 8 मंत्री मोदी कैबिनेट में शामिल हैं।
संगठन से मंत्री बनाए जा सकते हैं कुछ नेता
ऐसा भी कहा जा रहा है कि संगठन से भी कुछ नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है और सूत्र यहां तक बता रहे हैं कि कुछ नेताओं को मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। ये वे मंत्री बताए जा रहे हैं जिनके मंत्रालय की परफॉर्मेंस अच्छी नहीं कही जा रही है।
फरवरी या मई में फेरबदल संंभव
यह सारा फेरबदल संभव है कि बजट सत्र से पहले हो जाए। यानी फरवरी के पहले सप्ताह में ये बदलाव हो। यदि ऐसा संभव नहीं हुआ तो यह फेरबदल बजट सत्र के समाप्त होने के बाद मई में किया जाएगा।
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