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This Article is From Feb 18, 2018

कर्नाटक में बीएसपी और जेडीएस ने शुरू किया अपना साझा चुनाव अभियान

मायावती ने कहा, 'जीएसटी और नोटबन्दी ने कमर तोड़ी' बेरोजगारी बढ़ी  और जब 'गरीब लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रोजगार मांगते है तो वो पकोड़ा बेच कर रोजी रोटी कमाने की सलाह देते हैं'. 

कर्नाटक में बीएसपी और जेडीएस ने शुरू किया अपना साझा चुनाव अभियान
बीएसपी और जेडीएस ने अपना साझा चुनाव अभियान किया शुरू
नई दिल्ली: कर्नाटक में बीएसपी और जेडीएस ने अपना साझा चुनाव अभियान शरू कर दिया है. 24 फीसदी दलित आबादी वाले इस राज्य में एससी एसटी के लिए सुरक्षित 51 सीटों में से मायावती और जेडीएस कितनी सीटें जीत पाएगी ये मायावती का भविष्य इस राज्य में तय करेगा. शनिवार को बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती और जेडीएस प्रमुख पूर्व प्रधान मंत्री देवेगौड़ा ने साझा चुनावी अभियान इस गठबंधन का बेंगलुरु से शरू किया. 1996 में पार्टी की कमान संभालने के बाद पहली बार मायावती ने प्री पोल अलायन्स किसी राजनीतिक पार्टी के साथ किया है. वह भी इस उम्मीद के साथ ताकि  समझौते के मुताबिक जिन 14 सुरक्षित सीटों पर बीएसपी लडे़गी उनमें से ज्यादा वो जीतेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि उन सीटों पर पिछले चुनावों में जनता दल सेक्युलर यानी जेडीएस या तो जीती थी या फिर हार का मार्जिन काफी कम था.

बीजीपी और कांग्रेस दोनों को दलित विरोधी बताते हुए मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पकोड़े वाले बयान पर चुटकी ली. मायावती ने कहा, 'जीएसटी और नोटबन्दी ने कमर तोड़ी' बेरोजगारी बढ़ी  और जब 'गरीब लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रोजगार मांगते है तो वो पकोड़ा बेच कर रोजी रोटी कमाने की सलाह देते हैं'. 

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वहीं पिछले चुनावों में 40 सीटें जीतने वाली जे डीएस को उम्मीद है कि इस बार वो 50 के आसपास सीटें जीत कर 225 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में किंग मकर का रोल अदा करेगी और  देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी द्वारा मुख्यमंत्री बनेगे. जेडीएस सुप्रीमो देवेगौड़ा ने कहा कि 'बीजीपी और कांग्रेस के साथ साझा सरकार के समय दोनों ही दलों ने बहुत परेशानियां खड़ी की बावजूद इसके कुमारस्वामी ने बतौर सीएम ऐसा काम किया जिसकी चर्चा अब तक होती है. इसी लिए अब समय आ गया है कि राज्य के कोने कोने से लोग कुमारस्वामी का हांथ मजबूत करे ताकि कुमारस्वामी अपने बूते पर सरकार बना सके.'

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2008 के विधान सभा चुनावों में जहां जेडीएस को 51 सुरक्षित सीटों में से सिर्फ 2 सीटें ही मिली थी, 2013 में ये बढ़कर 13 हो गई. इस बार ये आंकड़ा 20 से ऊपर हो उसी उम्मीद से जेडीएस ने बीएसपी का दामन थामा है. सिर्फ बीएसपी ही नहीं बल्कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी से भी जेडीएस महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा के विधानसभा छेत्रों के लिए गठबन्धन करने जा रही है जिसमे एनसीपी को 5 या 6 सीटें दी जाएंगी. जेडीएस बीएसपी गठबंधन के साझा चुनावी अभियान के मौके पर एक अनुमान के मोताबिक 2 लाख से ज्यादा की भीड़ उमड़ी. 

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