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दुनिया का सबसे घातक फाइटर जेट भारत में ‘ग्राउंडेड’, आखिर वो वापस क्यों नहीं जा पा रहा?

British F-35 fighter jet: यह विमान ब्रिटेन के HMS प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है और हाल ही में इसने भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास में भाग लिया था.

दुनिया का सबसे घातक फाइटर जेट भारत में ‘ग्राउंडेड’, आखिर वो वापस क्यों नहीं जा पा रहा?
British F-35 fighter jet: तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एफ-35 बी लड़ाकू विमान 14 जून से खड़ा है.
  • भारत के तिरुवनंतपुरम में ब्रिटिश एफ-35 लड़ाकू विमान खड़ा है.
  • यह विमान दुनिया के सबसे आधुनिक स्टेल्थ फाइटर जेट्स में से एक है.
  • पायलट ने ईंधन की कमी के कारण इमरजेंसी लैंडिंग की अनुमति मांगी थी.
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भारत के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिका में निर्मित रॉयल नेवी का एफ-35 बी लड़ाकू विमान (British F-35 fighter jet) 14 जून, शनिवार रात से खड़ा है. यह कोई आम विमान नहीं है, बल्कि पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट है, जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है. इसे दुनिया के सबसे आधुनिक और खतरनाक लड़ाकू विमानों में गिना जाता है. अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इटली, नॉर्वे, नीदरलैंड और इजरायल जैसे देश इसका इस्तेमाल करते हैं.

शनिवार को, इस विमान के पायलट ने ईंधन की कमी के कारण इमरजेंसी लैंडिंग की अनुमति मांगी थी. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने न केवल लैंडिंग में सहायता की, बल्कि विमान की मरम्मत और वापसी के लिए सभी आवश्यक तकनीकी और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी प्रदान कर रही है.

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मंगलवार, 17 जून को ब्रिटेन की रॉयल नेवी की एक टीम हेलीकॉप्टर के जरिए तिरुवनंतपुरम पहुंची. उनके साथ तकनीशियन और विमान के आवश्यक उपकरण भी थे. इसके बावजूद, तकनीकी समस्या पूरी तरह हल नहीं हो सकी है, जिस कारण यह विमान अब तक भारत में ही खड़ा है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर दुनिया के सबसे ताकतवर देश द्वारा बनाया गया यह उन्नत विमान उड़ान क्यों नहीं भर पा रहा है?

इस विमान को लेकर दावा किया जाता है कि इसे राडार पकड़ नहीं पाते. बावजूद इसके, भारतीय वायुसेना की इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) ने एफ-35 को डिटेक्ट कर लिया. यह भारतीय सुरक्षा प्रणाली की ताकत को दर्शाता है- जो पहचान, निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया में सक्षम है.

तकनीकी खामी क्या है, इस पर अब तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. शुरू में ईंधन की कमी की बात कही गई थी और बाद में विमान में रिफ्यूलिंग कर दी गई. अब इसमें हाइड्रोलिक फेल्योर को उड़ान न भर पाने की वजह बताया जा रहा है.

एक बड़ी चुनौती यह भी है कि तिरुवनंतपुरम में एफ-35 का कोई बेस नहीं है. ऐसे अत्याधुनिक विमानों के लिए स्पेशलिस्ट इंजीनियर और विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है, तभी किसी भी तकनीकी खामी को दूर किया जा सकता है. जब तक विमान पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता, तब तक उसे उड़ाना सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं माना जा रहा.

क्यों सबसे अलग है यह विमान?

यह विमान ब्रिटेन के HMS प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है और हाल ही में इसने भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास में भाग लिया था. शनिवार को यह विमान अपने एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने के बाद वापस नहीं लौट सका. अगर इसकी क्षमताओं की बात करें तो यह एक सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है, जो लगभग 2,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. यह कम दूरी के रनवे से टेकऑफ कर सकता है, यहां तक कि हेलीकॉप्टर की तरह वर्टिकल टेकऑफ भी करने में सक्षम है. यह एक साथ कई टारगेट को ट्रैक कर उन्हें निशाना बना सकता है.

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लॉकहीड मार्टिन का दावा है कि दुनिया में इसके टक्कर का कोई और विमान नहीं है- न स्पीड, न रेंज और न ही वेपन कैपेबिलिटी के मामले में. इन्हीं खूबियों की वजह से इजरायल इसे ईरान के खिलाफ ऑपरेशन में प्रभावी रूप से इस्तेमाल करता रहा है.

आम तौर पर, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश अपने ऐसे ‘गेम चेंजर' विमानों को किसी तीसरे देश में यूं ही नहीं छोड़ते. लेकिन इसका इतने दिनों तक भारत में खड़ा रहना कई अहम सवाल जरूर खड़े करता है.

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