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CM मोहन यादव 'खगोल विज्ञान कार्यशाला का करेंगे उद्घाटन, जानिए इसकी खासियत

इस वेधशाला में 5 मीटर डोम में 20 इंच का टेलीस्कोप स्थापित है. वेधशाला का मुख्य उद्देश्य प्रदेश एवं देश के खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के कार्य को बढ़ावा देना एवं खगोल विज्ञान के प्रचार-प्रसार की गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है.

CM मोहन यादव 'खगोल विज्ञान कार्यशाला का करेंगे उद्घाटन, जानिए इसकी खासियत

पुरातनकाल से ही भारत ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी देश होकर विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित रहा है. विश्व के प्राचीनतम नगर उज्जैन का गौरव शाली इतिहास है. उज्जैन से लगभग 35 किलोमीटर दूर महिदपुर तहसील के अंतर्गत एक छोटा सा ग्राम डोंगला प्राचीन समय से ही खगोल विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से महत्तवपूर्ण रहा है क्योंकि कर्क रेखा ग्राम डोंगला से होकर गुजरती है.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव 22 जून, शनिवार को उज्जैन में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल होंगे. वह 'खगोल विज्ञान एवं भारतीय ज्ञान परंपरा' विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे.

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ग्राम डोंगला के खगोल महत्व को देखते हुए वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् मध्यप्रदेश शासन ने प्रदेश में आधुनिक वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला ग्राम डोंगला में स्थापित की है. डॉ. मोहन यादव, तत्कालीन विधायक और वर्तमान में मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश की परियोजना, परिकल्पना एवं भूमि चयन से लेक परियोजना को मूर्तरूप देने तक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इस परियोजना में तकनीकी सहयोग भारतीय तारा भौतिकी संस्थान (आई.आई.ए.) भारत सरकार बैंगलोर एवं आर्यभट्ट प्रशिक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ए.आर.आई.ए.एस.), भारत सरकार, नैनीताल से लिया गया है.

इस वेधशाला में 5 मीटर डोम में 20 इंच का टेलीस्कोप स्थापित है. वेधशाला का मुख्य उद्देश्य प्रदेश एवं देश के खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के कार्य को बढ़ावा देना एवं खगोल विज्ञान के प्रचार-प्रसार की गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है.

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वेधशाला में प्रदेश एवं देश के विभिन्न संस्थानों के शिक्षाविद्, विद्यार्थी एवं शोधकर्ता खगोल विज्ञान के क्षेत्र में ज्ञान का लाभ प्राप्त कर रहें है. इस वेधशाला में खगोल विज्ञान के क्षेत्र में विंटर स्कूल भी आयोजित किये जाते है. एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना, भारत सरकार के तहत् अन्य राज्य के विद्यार्थी वेधशाला के भ्रमण पर आते है.

वर्तमान में इस वेधशाला के टेलिस्कोप के आटोमेशन का कार्य भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान. इंदौर के सहयोग से किया है. यह टेलीस्कोप के आटोमेशन नई शिक्षा नीति (एन.ई.पी.) एवं नेशनल स्पेस पालिसी के लिए एतिहासिक कदम है, जिससे सुदूर अंचल के लोग भी वेधशाला का लाभ ले सकेंगें. इस आप्टिकल टेलिस्कोप का लाभ विशेषकर खगोल विज्ञान मे स्नातक/स्नातकोत्तर विद्यार्थी को मिलेगा.

वेधशाला के साथ लगी हुई एक प्राचीन यंत्रों पर आधारित प‌द्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला है. इसको ध्यान में रखकर आज की कार्यशाला की परिकल्पना की गयी, जिससे आधुनिक एवं प्राचीन तकनीक पर आधारित यंत्र/उपकरणों के माध्यम से खगोल विज्ञान एवं कालगणना के बारे में जानकारी दी जा सके. खगोल विज्ञान में शोध के नये आयामों पर ग्राम डोंगला के खगोलीय महत्व को ध्यान में रखकर विचार किया जा सके, जिससे ग्राम डोंगला के डोंगला मीन टाईम (डी.एम.टी.) की अवधारणा को साकार किया जा सकेगा.

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