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This Article is From Sep 13, 2013

मोदी बने 2014 के 'पीएम इन वेटिंग'

नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह का फाइल फोटो

अपने कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अंतत: शुक्रवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 में होने वाले आम चुनाव के लिए पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी (पीएम इन वेटिंग) घोषि
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नई दिल्ली: अपने कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अंतत: शुक्रवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 में होने वाले आम चुनाव के लिए पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी (पीएम इन वेटिंग) घोषित कर दिया। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने शुक्रवार शाम यहां पार्टी मुख्यालय में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद इसकी घोषणा की।

मोदी (62) के नाम पर औपचारिक मुहर लगाने के लिए बुलाई संसदीय बोर्ड की बैठक को लेकर पार्टी मुख्यालय में उत्सव जैसा नजारा था। संसदीय बोर्ड की बैठक में लोकसभा और राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष क्रमश: सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने तो हिस्सा लिया, लेकिन पार्टी के कद्दावर नेता और पिछले आम चुनाव में पीएम इन वेटिंग रहे लालकृष्ण आडवाणी किनारे ही रहे।

भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में औपचारिक घोषणा की और मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सत्ता पर पार्टी की वापसी सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ करने का वचन दिया।

राजनाथ ने कहा कि हम पूर्व में भी चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा करते रहे हैं। अगले आम चुनाव के लिए किसे प्रत्याशी बनाया जाए इस पर विचार करने के लिए हमने शुक्रवार को संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी जिसमें इस मुद्दे पर विचार किया गया।

राजनाथ ने कहा, "जनता की भावना को देखते हुए हमने मोदी को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया।" राजनाथ ने घोषणा के बाद मोदी को संसदीय बोर्ड की तरफ से बधाई दी।

घोषणा के बाद मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि एक साधारण परिवार और कस्बे में जन्मे व्यक्ति को देश की जिम्मेदारी सौंपी है।

पार्टी के बड़े नेताओं से घिरे आत्मविश्वास से लबरेज मोदी ने कहा, "मैं वादा करता हूं कि 2014 के चुनाव में भाजपा विजयी होकर उभरेगी। इसके लिए पार्टी को कड़ी मेहनत करनी होगी और हम कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।" उन्होंने कहा कि देश संकट के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लोग कमल चुनाव चिन्ह को वोट देंगे।" लेकिन, जून से मोदी के उन्नयन का विरोध कर रहे आडवाणी इस बार भी अपनी नाखुशी जाहिर करने के लिए संसदीय बोर्ड की बैठक से दूर रहे।

प्रत्याशी बनाने की घोषणा के बाद पार्टी अध्यक्ष ने मीडिया को यह बताया कि मोदी आडवाणीजी का आशीर्वाद लेने जा रहे हैं, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के कारण के बारे में एक शब्द भी नहीं बताया।

आडवाणी की बैठक से दूरी बनाए रखने का कारण छिपाते हुए राजनाथ ने कहा, "मैं आप लोगों को बता दूं कि आडवाणी जी का आशीर्वाद लेने के लिए मोदी जी जा रहे हैं।"

राजनाथ सिंह ने दावा किया कि भाजपा के इस फैसले से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सभी घटक सहमत हैं और सभी ने मोदी को प्रत्याशी बनाए जाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सभी घटक दलों के अध्यक्षों से बातचीत की गई है।

इससे पहले मोदी के नाम पर सहमति बनाने के लिए राजनाथ सिंह दो दिनों तक जोशोखरोश से जुटे रहे। मोदी के नाम पर कन्नी काट रहे नेताओं को मनाने के लिए मेल-मुलाकातों का दौर चलता रहा।

उधर, मोदी को प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गुजरात व अन्य कई राज्यों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने उत्सव मनाया।

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मोदी को नामित किए जाने के तुरंत बाद ही कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कर्नाटक जनता पार्टी के नेता बीएस येदियुरप्पा ने पार्टी में वापसी का संकेत दिया।

इससे पहले, बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी आज वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को मनाने की अंतिम कोशिश की। वहीं इस मामले पर बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टी शिवसेना को भी साथ ले लिया है। बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को फोन करके इस बारे में जानकारी दी है। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि उनकी पार्टी बीजेपी के फैसले के साथ है, क्योंकि अभी जरूरी यह है कि यूपीए का सफाया कैसे हो। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने भी कहा है कि उनकी पार्टी बीजेपी उम्मीदवार को समर्थन देगी।

नरेंद्र मोदी की पीएम पद की उम्मीदवारी पर मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज नरम पड़ गए। इन दोनों नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को भरोसा दिलाया है कि वे पार्टी के फैसले के साथ होंगे।

इस मामले में आडवाणी को मनाने के लिए सुबह से ही मुलाकातों का दौर जारी रहा। नितिन गडकरी आडवाणी से मिले, उसके बाद अनंत कुमार और अमित शाह ने गडकरी से मुलाकात की। इसके बाद गडकरी सुषमा स्वराज से मिलने गए। बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह गुरुवार को सुषमा से मिले भी थे।

बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और भैयाजी जोशी के बीच गुरुवार को हुई करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद यह तय हो गया कि तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए मोदी को ही पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए।

बीजेपी ने आदेश दिया था कि राज्यों के दफ्तरों में पार्टी के सभी कार्यकर्ता दोपहर 3 बजे से शाम तक मौजूद रहें और मोदी के नाम की घोषणा के बाद जश्न मनाएं।

प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर मोदी के नाम की घोषणा पर सबसे ज्यादा उत्साहित बिहार बीजेपी के नेता दिखाई दे रहे हैं। बिहार बीजेपी ने 27 अक्टूबर को होने वाली हुंकार रैली के पोस्टर में सिर्फ मोदी को जगह दी है।

इसके साथ ही बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने गुरुवार को कहा था कि आडवाणी जनता का मूड नहीं समझ पाए उन्हें मोदी के नाम पर मुहर लगा देनी चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक मोदी के नाम की घोषणा करने में सबसे बड़ी बाधा बने हुए आडवाणी ने पार्टी नेताओं से कहा था कि मोदी को प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार घोषित करने से यूपीए के खिलाफ लड़ाई में बीजेपी के हितों को नुकसान पंहुच सकता है। उनका कहना था कि ऐसा करने से यूपीए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और मंहगाई का मुद्दा बनने की बजाय मोदी मुद्दा बनकर रह जाएंगे, जो पार्टी के लिए घातक साबित होगा।

आडवाणी ने मोदी के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके करीबी सुधींद्र कुलकर्णी ने ट्विटर पर मोदी का नाम लिए बिना लिखा, सामाजिक ध्रुवीकरण वाले नेता ने अपनी ही पार्टी का ध्रुवीकरण कर दिया। क्या वह केंद्र में स्थिर और प्रभावशाली सरकार चला सकते हैं? जरा गंभीरता से सोचिए।

(इनपुट एजेंसियों से भी)

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