नेपाल में भूस्खलन के बाद भोटे कोसी नदी में जमे मलबे को हटाने के लिए वहां की सरकार के विस्फोट नहीं करने और वहां से नियंत्रित रूप से जलप्रवाह किए जाने के आश्वासन के मद्देनजर तीन जिलों - सुपौल, मधेपुरा और सहरसा में बनाए गए राहत शिवरों में शरण लिए 1.14 लाख लोग अपने-अपने घर वापस लौट गए हैं।
बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव अनिरूद्ध कुमार ने बताया कि इन जिलों में राहत शिवरों में रह रहे 1.14 लाख लोग अपने-अपने गांव लौट गए हैं, लेकिन उनसे कहा गया है कि जलप्लावन के हालात उत्पन्न होने की स्थिति वे अपने गांव को छोड़ने को लेकर सचेत रहें।
उन्होंने बताया कि इन जिलों में तैनात सेना के पांच कालम को गुरुवार को वापस बुला लिया जाएगा, पर किसी भी खतरे की स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ की 15 टीमें और एसडीआरएफ की चार टीमें अभी कुछ और दिनों के लिए कोसी प्रक्षेत्र में रहेंगे।
नेपाल के सिंधुपालचोक जिले के जुरे में गत शुक्रवार को भोटे कोसी नदी में भू-स्खलन के बाद 28 से 32 लाख क्यूसेक पानी के जमा हो जाने पर आबादी के लिए बढ़ते खतरे के मद्देनजर वहां की सरकार ने पूर्व में विस्फोट कर मलबे को हटाने का निर्णय लिया था। हालांकि बाद में उसने ऐसा नहीं करके मलबेनुमा चट्टान में किए गए तीन छिद्र को और बढ़ाकर वहां से नियंत्रित रूप से जलप्रवाह करना शुरू कर दिया था।
आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव अनिरूद्ध कुमार ने बताया कि भारत और नेपाल के विशेषज्ञ भू-स्खलन स्थल पर अभी भी काम कर रहे हैं और उनके आकलन के अनुसार वहां बने तालाबनुमा स्थल में जमा पानी प्रवाहित होने पर 20 किलोमीटर तक निचले इलाके को प्रभावित कर सकता है।
नेपाल प्रभाग में भोटे कोसी नदी में गत शुक्रवार को हुए भू-स्खलन के बाद बिहार सरकार ने गत 2 अगस्त को कोसी नदी के प्रक्षेत्र में पड़ने वाले नौ जिलों - सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, मधुबनी, भागलपुर, दरभंगा, अररिया और पूर्णिया में हाई अलर्ट जारी करते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि भारत-नेपाल सीमा स्थित कुसहा बांध के समीप 18 अगस्त, 2008 को कोसी नदी का तटबंध टूटने से आई प्रलयंकारी बाढ़ के कारण उत्तर बिहार के पांच जिलों में आई त्रासदी में 250 लोगों की मौत हो गई थी।
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