बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा. जेडीयू और बीजेपी विधानपरिषद चुनाव (Bihar MLC Election ) में एक दूसरे पर उम्मीदवारों को हराने का आरोप लगा रहे हैं. सबसे पहले नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड जिसके 11 में से छह उम्मीदवार हारे, उसके अनुसार मधुबनी सीट पर भाजपा के भीतरघात के कारण पार्टी प्रत्याशी विनोद सिंह चौथे स्थान पर रहे क्योंकि यहां से बाग़ी सुमन महासेठ जो पिछले बार भाजपा के टिकट पर जीते थे, उनके ख़िलाफ़ ना भाजपा ने न कोई कार्रवाई की और महासेठ चुनाव प्रचार के दौरान ये कहते रहे कि वो जीत कर आख़िरकार भाजपा के पाले में ही जाएंगे. इसके बाद बेगूसराय सीट पर यही रोना भाजपा का है, इसके अनुसार उनके सिटिंग विधान पार्षद रजनीश कुमार कांग्रेस के राजीव कुमार से इसलिए हारे क्योंकि जनता दल यूनाइटेड के नेता और समर्थित वोटर का झुकाव इसलिए राजीव के तरफ़ था क्योंकि वो जनता दल यूनाइटेड के विधायक संजीव के भाई हैं. इसलिए वहां भीतरघात का शिकार भाजपा प्रत्याशी हुए.
वैसे ही मुंगेर - जमुई सीट जहां से राष्ट्रीय जनता दल के अजय कुमार सिंह जीते वहां जनता दल यूनाइटेड के हारे हुए प्रत्याशी संजय प्रसाद के समर्थकों का कहना हैं कि वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह और विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच वर्चस्व की लड़ाई के भुक्तभोगी हुए. उनका कहना हैं कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं में एक संदेश था कि भले राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी जीत जाएये लेकिन ललन सिंह समर्थित उम्मीदवार को किसी भी हालत में हराना हैं क्योंकि इससे सिन्हा उस इलाक़े में मज़बूत होंगे.
वैसे ही गया सीट से जनता दल यूनाइटेड प्रत्याशी मनोरमा देवी की हार का कारण ना केवल भाजपा बल्कि जीतन राम माँझी के पार्टी के कुछ विधायकों की सक्रियता रही. वहीं पश्चिम चंपारन सीट से जनता दल यूनाइटेड के राजेश राम राष्ट्रीय जनता दल के सौरभ कुमार के मुक़ाबले तीसरे स्थान पर रहे जबकि बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल और उप मुख्य मंत्री रेणु देवी यहीं से सांसद और विधायक हैं.वैसे ही सिवान में खुलेआम जनता दल के पूर्व विधायक और सांसद के पति अजय सिंह भाजपा नेताओं के अनुसार निर्दलीय उम्मीदवार के लिए काम कर रहे थे.
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